जयंती विशेष – भारत रत्न गोविंद वल्लभ पंत: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धांजलि दी

भारत के स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्णिम कहानी आज भी लोगों के दिलों में क्रांति की अलख जलाती है. इस स्वतंत्रता की कहानी में कई ऐसे नायक भी थे जिन्होंने चुपचाप अपने काम को पूरा किया. ऐसे लोगों के कार्य ही इन्हें लोकप्रियता दिलाते हैं. आजादी की लड़ाई में एक ऐसे ही सिपाही थे भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत…..

उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत को राजनीतिक रूप से पिछड़े माने जाने वाले पहाड़ी इलाकों को देश के राजनीतिक मानचित्र पर जगह दिलाने का श्रेय जाता है….. गोविन्द बल्लभ पंत जी की वकालत के बारे में कई किस्से मशहूर थे. उनका मुकदमा लड़ने का ढंग निराला था, जो मुवक्किल अपने मुकदमों के बारे में सही जानकारी नहीं देते थे, पंत जी उनका मुकदमा नहीं लेते थे…..

10 सितम्बर, 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थित खूंट गाव में जन्में गोविंद बल्लभ पंत ने वर्ष 1905 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और 1909 में उन्होंने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की. काकोरी मुकद्दमें ने एक वकील के तौर पर उन्हें पहचान और प्रतिष्ठा दिलाई…..

गोविंद बल्लभ पंत जी महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को देश की जनशक्ति में आत्मिक ऊर्जा का स्त्रोत मानते रहे. गोविंद बल्लभ पंत जी ने देश के राजनेताओं का ध्यान अपनी पारदर्शी कार्यशैली से आकर्षित किया. भारत के गृहमंत्री के रूप में वह आज भी प्रशासकों के आदर्श हैं….. पंत जी चिंतक, विचारक, मनीषी, दूरदृष्टा और समाजसुधारक थे…. उन्होंने साहित्य के माध्यम से समाज की अंतर्वेदना को जनमानस में पहुंचाया. उनका लेखन राष्ट्रीय अस्मिता के पा‌र्श्व चिन्हांकन द्वारा लोगों के समक्ष विविध आकार ग्रहण करने में सफल हुआ….

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी की जयंती  के अवसर पर उन्हें याद  करते हुए उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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