गणों के अधिपति श्री गणेशजी प्रथम पूज्य हैं सर्वप्रथम उन्हीं की पूजा की जाती है, उनके बाद अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। किसी भी कर्मकांड में श्रीगणेश की पूजा-आराधना सबसे पहले की जाती है क्योंकि गणेशजी विघ्नहर्ता हैं और आने वाले सभी विघ्नों को दूर कर देते हैं। श्रीगणेश लोक मंगल के देवता हैं, लोक मंगल उनका उद्देश्य है परंतु जहां भी अमंगल होता है, उसे दूर करने के लिए श्री गणेश अग्रणी रहते हैं। गणेश जी रिद्धि और सिद्धि के स्वामी हैं। इसलिए उनकी कृपा से संपदा और समृद्धि का कभी अभाव नहीं रहता है। श्री गणेशजी को दूर्वा और मोदक अत्यंत प्रिय है
चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र:
सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।
गणेश चतुर्थी 2021 शुभ मुहूर्त
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त -दोपहर 11 बजकर 02 मिनट से लेकर 01 बजकर 32 मिनट तक
अवधि: 2 घंटे 29 मिनट
गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि
1. व्रती को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
2. चौकी में लाल आसन के ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
3. गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बांट दें।
4. सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
5. इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।