मंत्री रेखा आर्य की कांवड़ यात्रा – विवाद से प्रचार तक 

उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत इसलिए मिला था क्योंकि उसकी टीम के कप्तान युवा और धाकड़ पुष्कर सिंह धामी हैं जो कहते हैं मिनिमम गवर्नेंस और मैक्सिमम गवर्नमेंट यानी कि विकल्प रहित संकल्प के साथ 2025 में प्रदेश को सर्वोत्तम राज्य बनाना है। इसके लिए उन्होंने मंत्रियों को लक्ष्य भी दे दिया है।

पहाड़ हो या मैदान सभी तेरह जिलों में  लोकहित की योजनाओं को आम आदमी तक पहुंचाना पहली प्रार्थमिकता बताई है। कहीं ना कहीं जनता को भी  भरोसा है , उसे लगता है कि भाजपा के मंत्री , विधायक , मुख्यमंत्री और उनके निर्देश पर अधिकारी जनहित के कार्य करेंगे , लोकहित कल्याणकारी योजनाओं को आम जन तक पहुंचाएंगे।   लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो प्रचार प्रसार और टीआरपी को अच्छी तरह से भुलाना जानते हैं। उन्हें पता है कि कब और किस तरह से अपने आप को सुर्खियों में बनाए रखना है।  तस्वीरों , वीडियो और ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर किस तरह से अपने आपको अलग दिखाना है , बड़ा दिखाना है।  उत्तराखंड में एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री हैं जिन्होंने बीते कुछ सालों में अपनी पहचान टीआरपी मिनिस्टर के रूप में दर्ज करा ली है।

हम बात कर रहे हैं प्रदेश की धामी सरकार में धाकड़ और दबंग छवि बना चुकी महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य की … सुर्खियों में बने रहना जैसे रेखा आर्य की बेस्ट क्वालिटी में शामिल है। कभी वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के साथ नोकझोंक , आरोप-पत्यारोप और शिकायत पत्र तो कभी काफिले को खेत में रुकवा कर फसल काटती पोज़ में फोटो ,  तो कभी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के प्रचार प्रसार के लिए साइकिल अभियान चलाकर अपने आप को सुर्खियों में ला देने की कला , छोटे से राज्य में बड़ी  पहचान बनाने के लिए कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य की यह स्टाइल उन्हें अलग और अनोखी बनाती है…  यही वजह है कि जब वह सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में आती है तो कार्यक्रम स्थल पर नेताओं अधिकारियों और जनता की नजर उनकी वेशभूषा और विशेष श्रंगार पर टिक जाती है…  एक बार फिर मंत्री जी खूब टीआरपी बटोर रही है , मुख्यमंत्री धामी से ज्यादा सुर्खियां बटोर रही है और राजधानी देहरादून में उनके आकर्षक तस्वीरों से सजी होल्डिंग और बैनर लोगों के बीच कौतूहल का विषय बने हुए हैं। यूं तो उन्होंने मकसद बताया है प्रदेश में लिंगानुपात को सुधारने का , देव भूमि को देवी भूमि बनाने का …. इसीलिए मंगलवार को उन्होंने अपने कंधे पर कांवड़ उठाया , भगवा पहना , माथे पर त्रिपुंड लगाया और पसीना पोछते हुए आरामदायक जूते में लंबी पदयात्रा की … इस दौरान उनके आगे आगे सोशल मीडिया टीम भी उन्हें लाइव देश और प्रदेश की जनता तक पहुंचाती भी दिखी … लगभग 20 से 30 लोगों के इस काफिले के साथ कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य कावड़ यात्रा लेकर निकली तो उनके पीछे तख्ती और बैनर लिए उनके समर्थक भी जोश में दिखे।

हालांकि इस कावड़ यात्रा को लेकर बीते 1 हफ्ते में खूब विवाद हुआ लेकिन उन्होंने सभी विवादों पर विराम लगाते हुए बड़े ही दबंग अंदाज में हरिद्वार की सड़कों पर अपनी कावड़ यात्रा की। अब इसको लोकप्रियता बटोरने का धार्मिक अंदाज़ कहें या योजनाओं को आम आदमी से जोड़ने का अपना अनोखा अंदाज , कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य की पहचान ही अब एक दबंग और टीआरपी मिनिस्टर के रूप में बनती जा रही है।
देखना होगा कि क्या धामी सरकार में अपनी एक अलग पहचान के साथ मंत्री रेखा आर्य अपनी विभागीय जिम्मेदारियों और योजनाओं को भी इसी दबंग अंदाज में जनता तक पहुंचा पाएंगी ?  क्योंकि प्रदेश में महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में स्थिति किसी से छिपी नहीं है। बाल श्रम हो या भाल भिक्षा वृत्ति या महिला अपराध की बातें हो या फिर समय समय पर पहाड़ों में महिलाओं का स्वास्थ्य सेवाओं में बदहाल हकीकत बयां करती तस्वीरें हों ,  उम्मीद की जानी चाहिए कि महिला स्वास्थ्य , महिला अपराध , महिला स्वरोज़गार , गर्भवती महिलाओं और बुजुर्ग पहाड़ की औरतों तक एम्बुलेंस और दवाएं पहुंचाने के लिए मंत्री रेखा आर्य इसी तरह पदयात्रा करेंगी और सरकारी सिस्टम को सुधारने में भक्ति की शक्ति के साथ अपने सामर्थ का भी प्रदर्शन करेंगी।

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