पश्चिम अफ्रीकी देश के बाद भारत में दिखाई दे रहे मंकीपॉक्स के संक्रमण

डब्लूएचओ ने भी मंकीपॉक्स के लिए देश विदेश को पहले से सूचित कर दिया है। और पश्चिम अफ्रीकी देश के बाद अब भारत में भी इसको पाया गया है।मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है। मंकीपॉक्स वायरस वैरियोला वायरस के वायरस के एक ही परिवार का हिस्सा है, वह वायरस जो चेचक का कारण बनता है। मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान होते हैं, लेकिन हल्के, और मंकीपॉक्स शायद ही कभी घातक होते हैं। मंकीपॉक्स का चिकनपॉक्स से कोई संबंध नहीं है।  हाल ही में केरल में मंकीपॉक्स का तीसरा मामला सामने आया है. जुलाई की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटे 35 वर्षीय युवक में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि हुई है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि मलप्पुरम का रहने वाला युवक छह जुलाई को अपने गृह राज्य लौटा था और उसका तिरुवनंतपुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. जॉर्ज के मुताबिक, युवक की हालत स्थिर है. उन्होंने बताया कि संक्रमित के संपर्क में रहे लोगों पर करीबी नजर रखी जा रही है.
बताया गया कि दुबई से लौटे व्यक्ति को 13 जुलाई को बुखार आया जिसके बाद उसकी त्वचा पर रैशेज दिखे. इसपर व्यक्ति अस्पताल में जांच के लिए चिकित्सक से मिला और चिकित्सकों ने उसका सैंपल लेकर पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा. व्यक्ति के मंकीपॉक्स से ग्रसित होने की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग के कहा है कि संबंधित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों पर भी निगरानी रखी जा रही है. इससे पहले भी दो अन्य मामले केरल में ही सामने आए थे और दोनों ही दुबई से लौटे थे. इन लोगों की स्वास्थ्य स्थिति संतोषजनक बताई जा रही है.
वहीं, केरल में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामलों की पुष्टि होने के मद्देनजर कर्नाटक सरकार ने राज्य में सतर्कता गतिविधियां बढ़ाने और कड़ी निगरानी रखने का फैसला किया है. कर्नाटक सरकार ने राज्य के सभी जिलों को मंकीपॉक्स को लेकर ‘तकनीकी परामर्श समिति’ की सिफारिशों और केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार आवश्यक कदम उठाने तथा पूरी तैयारी सुनिश्चित करने को कहा है. कर्नाटक के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आयुक्त ने सतर्कता बढ़ाए जाने संबंधी परिपत्र जारी किय. परिपत्र में कहा गया है कि राज्य के प्रवेश बिंदुओं पर सभी संदिग्ध मामलों की जांच की जाए और यदि मंकीपॉक्स के किसी मामले की पुष्टि होती है तो संबंधित व्यक्ति को कम से कम 21 दिन और संक्रमण के लक्षणों से पूरी तरह से उबर जाने तक पृथकवास में रखा जाए. इसमें कहा गया है कि लोगों को मंकीपॉक्स से बचने के तरीकों के बारे में जागरुक किया जाना चाहिए और मामलों का शीघ्र पता लगाने की कोशिश की जानी चाहिए.

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