बच्चों द्वारा की जा रही भिक्षावृत्ति की प्रभावी रोकथाम करने, भिक्षा न दिये जाने के सम्बन्ध में जनता को जागरूक करने, भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा हेतु प्रेरित करने व उनके पुनर्वास हेतु नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने के लिए डीजीपी उत्तराखंड अशोक कुमार के निर्देश पर समस्त जनपदों में 1 अगस्त, 2022 से 30 सितम्बर, 2022 तक दो माह के लिए पुनः “ऑपरेशन मुक्ति” अभियान चलाया जा रहा है। अभियान की थीम “भिक्षा नहीं, शिक्षा दें” व “Support to educate a child” है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का मानना है कि सामाजिक व मानवीय कार्यों में पुलिस की अहम भूमिका होती है। इसी कड़ी में ऑपरेशन मुक्ति चलाया गया। जिसके तहत भिक्षा मांगने वाले बच्चों को शिक्षा देने की कोशिश की गई है। इस मुहिम में लोगों को भी जागरूक किया गया है कि वह बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा देकर अपना कर्तव्य निभाएं। इससे बच्चों को अपना बचपन जीने को मिलेगा। शिक्षा के अभाव में कुछ बच्चे अपराध की ओर बढ़ जाते हैं। इनके स्कूल जाने से अपराध की प्रवृति में भी रोक लगेगी।ऑपरेशन मुक्ति अभियान तीन चरणों में चलाया जाता हैः-
प्रथम चरणः-
भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों व उनके परिवारों का पूर्ण विवरण संलग्न प्रारूप में तैयार करना तथा ऐसे बच्चे जिनका विद्यालयों/डे केयर में दाखिला किया जाना है, का चिन्हीकरण करना।
द्वितीय चरणः-
समस्त स्कूल-कॉलेजों, सार्वजनिक स्थानों, महत्वपूर्ण चौराहों, सिनेमाघरों, बस व रेलवे स्टेशनों, धार्मिक स्थलों आदि स्थानों पर बच्चों को भिक्षा न दिये जाने के सम्बन्ध में बैनर, पोस्टर, पम्पलेट, नुक्कड़ नाटक, लाउड स्पीकर, Short Movie व सोशल मीडिया आदि के माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाकर जनता को जागरूक करना।
तृतीय चरणः-
भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर उनके तथा उनके माता-पिता की कॉउन्सलिंग कर बच्चों को शिक्षा प्रदान करने तथा उनके माता-पिता को रोजगार दिलाने का प्रयास करना। बच्चों के पुनः भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर उनके माता/पिता के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत कर कार्यवाही करना तथा किसी भी प्रकार का संदेह होने पर डी0एन0ए0 टेस्ट की कार्यवाही करना।
“ऑपरेशन मुक्ति” अभियान के दौरान बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधि0 2016 (संशोधन) की धारा 3 व 3ए के अपराध, किसी भी प्रकार के गैंग के प्रकाश में आने अथवा किसी अपराध का होना पाये जाने पर तत्काल सम्बन्धित अधिनियम व धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जायेगी। साथ ही बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने में यदि बच्चे का वास्तविक प्रभार अथवा नियंत्रण रखने वाले की भूमिका पायी जाती है, तो किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 76 के अनुसार नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।