देश भर में कोयले की कमी और दिल्ली में सियासी मुद्दे की भेंट चढ़ चुके बिजली उत्पादन पर कोयले के संकट का मुद्दा अब उत्तराखंड आ पहुंचा है। पहले ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती और अब शहरी क्षेत्रों में भी कटौती शुरू कर दी गई है।
आपको बता दें कि राज्य में अभी बिजली की मांग 41 मिलियन यूनिट है। जबकि, 35 से 37 मिलियन यूनिट बिजली ही मिल पा रही हैं। चार से लेकर छह मिलियन यूनिट का यह गैप बड़े संकट का कारण बन गया है। इस बीच यार्ज सरकार और शासन में भी सक्रियता दिखने लगी है।
ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत और सचिव ऊर्जा सौजन्या ने यूपीसीएल मैनेजमेंट से बिजली संकट से निपटने का एक्शन प्लान मांगा है। यूपीसीएल ने बिजली खरीद के कुछ पुराने टेंडर भी किए हैं। इन टेंडरों में शामिल होने वाली कंपनियों ने भी हाथ खड़े करने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए कंपनियां जुर्माना सहने को भी तैयार हैं। इसका कारण बाजार में कंपनियों को मिल रहा अच्छा भाव बड़ी वजह माना जा रहा है।
एनर्जी एक्सचेंज में इस समय बिजली का भाव न्यूनतम दस रुपये से लेकर अधिकतम 25 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गया है। इस कीमत पर यूपीसीएल बिजली खरीदने की स्थिति में नहीं है। एनटीपीसी अपने कुछ प्लांट डीजल से चला रहा है। इसके लिए उसने यूपीसीएल को जो रेट कोड किए हैं, वो न्यूनतम 24 रुपये से लेकर अधिकतम 41 रुपये प्रति यूनिट तक हैं। जिन्हें यूपीसीएल मैनेजमेंट ने एक सिरे से नकार दिया है। तैयारी भले ही सरकार की तेज़ हो लेकिन आज देश में कोयले की कमी और ऊर्जा संकट पर हल्ला ज़रूर तेज़ होने लगा है।