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रोमांच अंदाज़ और डीजीपी अशोक कुमार  

विशेष लेख : सलीम सैफ़ी / आशीष तिवारी

आपने कड़क रुआबदार और सख्त पुलिस वाले अफसर तो बहुत देखे होंगे। ज़ेहन में पुलिस के किसी टॉप कॉप के अक्स को ख्यालात में उतारें तो क्या तस्वीर उभरती है।

? जी हाँ खाकी की कड़क वर्दी में हनकदार साहेब …. लेकिन अगर आपने उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी का अंदाज़ देख लिया या उनसे पल दो पल के लिए आमने सामने हो गए तो यकीन मानिये जनाब  , आपके ख्यालों के इस सख्त कैनवास पर अनुभव  की मखमली फुहार बिखर जाएगी। घर से लेकर पुलिस मुख्यालय तक इनका अंदाज़ जुदा है रंग अनोखा है।  उत्तराखंड मित्र पुलिस के महानिदेशक अशोक कुमार …. जी हाँ हम उसी शख्सियत की बात कर रहे हैं जिन्होंने अपनी पहचान प्रकृति प्रेमी , खेल प्रेमी और सोशल एक्टिविस्ट के तौर पर बनायी ही है साथ ही साथ आईपीएस अशोक कुमार एक बेहतरीन कलमकार भी हैं। तो अब आप सोच रहे होंगे इसमें नई बात क्या है ? तो ज़रा ठहरिये हुज़ूर आपको पहले चंद तस्वीरें दिखाते हैं जो डीजीपी अशोक कुमार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिये देश प्रदेश को दिखाते हुए एक सामाजिक सन्देश दिया है। इन्हीं तस्वीरों में आपको एक ऐसा प्रकृति प्रेमी इंसान दिखेंगे जो बेहद ज़िम्मेदारी भरे पद पर खाकी को मान दिला रहे हैं तो दूसरी तरफ  एकदम हमारे और आप जैसा सामान्य लम्हे भी जी रहे हैं , जिसको झरोखों से झांकना , बुग्यालों को ताकना और पथरीले ट्रैक को नापना रोमांचित करता है। आज जब ज्यादातर ऑफिसर वातानुकूलित दफ्तरों में बैठ कर फाइलों के अंदर अपने आदेशों को रेखांकित करते हैं। ऐसे में चार धाम यात्रा के दौरान दुनियाभर से आने वाले तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को खुद जांचने के लिए पुलिस प्रमुख डीजीपी अशोक कुमार दुर्गम रास्तों और घाटियों से होते हुए रियलिटी चेक करते नज़र आये हैं। फेसबुक प्लेटफॉर्म पर डीजीपी अशोक कुमार कुछ ख़ास तस्वीरों के साथ लिखते हैं —- “गंगोत्री यात्रा के दौरान एक खूबसूरत ट्रैक भी किया दयारा बुग्याल। उत्तरकाशी से थोड़ा आगे चलकर हर्षिल से पहले रैथल गांव से शुरू होता है ये ट्रैक और 8 से 9 किमी का है। चढ़ाई थोड़ी खड़ी है पर बुग्याल देखकर सारी थकावट दूर हो जाती है। बड़ी बात ये है कि यहां से गंगोत्री समूह की बर्फीली चोटियों के मनोरम दर्शन होते हैं। ट्रैक में साथ रहे रैथल और नटीन गांव के लोगों से बात करके पता चला कि यहां लोग औरंगजेब के समय में राजस्थान से आए थे। राणा भी हैं यहां कई। अभी भी 400 साल पुराने घर हैं, जो जाने कितने भूकंप देख चुके हैं।”इसी साफ के दौरान हर्षिल में उनकी मुलाक़ात 100 वर्षों से भी ज्यादा पुराने देवदार के वृक्ष से हो जाती है तो बरबस ही वर्दी में इंसान का दिल मचल उठता है और वो उसको हैरत से निहारते है। कर्म ही पूजा है लिहाज़ा वर्दी में ही धर्म को भी साधते हुए कुछ तस्वीर हमें और मिली जिसमें गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के समय डीजीपी अशोक कुमार अपनी पत्नी अलकनंदा के साथ माँ गंगा की पूजा में शामिल हुए दिखाई दिए। ये रोमांचक ट्रैक भले ही अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए थी , लेकिन इस दौरान हमे अनेकों ऐसे रंग भी हमे दिखाई दिए जो बताते हैं कि वर्दी में वाकई एक इंसान भी होता है  , उसके भी दिल होता है और दिल में अरमान जो खुले आसमान , वादियों और रुमानियत को देखकर स्वच्छंद बहना चाहता है।

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