शिक्षा के भगवाकरण में गलत क्या है ? वेंकैया नायडू , उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू  ने शनिवार को हरिद्वार स्थित शांतिकुंज के देव संस्कृति विश्वविद्यालय (DSVV) के स्वर्ण जयंती समारोह में को छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप है, लेकिन भगवा में क्या गलत है? सर्वे भवन्तु सुखिनः और वसुधैव कुटुम्बकम जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में निहित दर्शन हैं. आज भी भारत की विदेश नीति के लिए यही मार्गदर्शक सिद्धांत हैं.’उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू हरिद्वार स्थित शांतिकुंज के देव संस्कृति विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में छात्र-छात्राओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश के लोगों से कहा कि वे अपनी ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ को त्यागें और अपनी पहचान पर गर्व करना सीखें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ‘हम पर शिक्षा के भगवाकरण  करने का आरोप है, लेकिन भगवा में क्या गलत है?’वेंकैया नायडू ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में शिक्षा की मैकाले प्रणाली को पूरी तरह से खारिज करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसने देश में शिक्षा के माध्यम के रूप में एक विदेशी भाषा को थोप दिया और शिक्षा को अभिजात्य वर्ग तक सीमित कर दिया. नायडू ने कहा, ‘सदियों के औपनिवेशिक शासन ने हमें खुद को एक निम्न जाति के रूप में देखना सिखाया. हमें अपनी संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान का तिरस्कार करना सिखाया गया. इसने एक राष्ट्र के रूप में हमारे विकास को धीमा कर दिया. शिक्षा के माध्यम के रूप में एक विदेशी भाषा को लागू करने से शिक्षा सीमित हो गई. समाज का एक छोटा वर्ग शिक्षा के अधिकार से एक बड़ी आबादी को वंचित कर रहा है.’

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