हार्ट अटैक के मामले देश में तेज़ी से बढ़ रहे हैं। उम्र अब कोई मायने नहीं रखती है। हमारे और आपके आसपास अक्सर ऐसी घटना हम सुनते भी रहते हैं। ऐसे में देहरादून के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ से जब हमने बात की तो उनका कहना है कि पिछले 20 साल में भारत में दिल का दौरा पड़ने के मामलों की दर दोगुनी हो गई है और अधिकतर युवा अब इसका शिकार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल का दौरा पड़ने के 25 फीसदी मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों में देखे जा रहे हैं.
कई हस्तियां कम उम्र में हुईं शिकार
हाल ही में हास्य-कलाकार राजू श्रीवास्तव (58) को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इसके बाद यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में है. इस साल मई में, प्रसिद्ध गायक केके (53) का कोलकाता में एक संगीत कार्यक्रम के बाद हृदय गति रुकने से निधन हो गया था. वहीं, पिछले साल, अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला (40), पुनीत राजकुमार (46), अमित मिस्त्री (47) का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल
डॉ कहते हैं कि डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसे अन्य जोखिम वाले कारकों में धूम्रपान सबसे महत्वपूर्ण है. इसके अलावा बदलती जीवनशैली, ठीक से नींद न लेना, पौष्टिक भोजन न करना और व्यायाम में कमी, तनाव का बढ़ना आदि युवा लोगों में दिल का दौरे पड़ने के कारणों में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कोविड-19 भी भारत में युवा लोगों में दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है.
भारत बन रहा डायबिटीज कैपिटल
मीडिया रिपोर्ट की माने तो देश के बड़े डॉक्टर्स भी अब दावा करने लगे हैं कि भारत दुनिया का डायबिटीज कैपिटल बन रहा है और इसलिए यहां ज्यादातर युवाओं में दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं.विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीयों का शरीर क्रिया विज्ञान भी इसका एक अन्य कारक हो सकता है। डॉक्टर्स कहते हैं की एक औसत भारतीय के पास, यूरोप के किसी व्यक्ति की तुलना में समान बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) है, लेकिन भारतीयों के शरीर में वसा सामग्री अधिक है और यह अंतर काफी चौंका देने वाला है. बीएमआई यह बताता है कि आपके शरीर का वजन आपकी लंबाई के अनुसार ठीक है या नहीं. उन्होंने कहा कि एक औसत यूरोपीय के शरीर में वसा की मात्रा सात से आठ प्रतिशत है, जबकि एक औसत भारतीय के शरीर में वसा की मात्रा लगभग 12 से 23 प्रतिशत है.
धूम्रपान, मोटापा, तनाव बड़े कारण
प्रमुख कार्डियक सर्जन ने भी आनुवंशिक प्रवृत्तियों को एक महत्वपूर्ण कारक बताया. उनका भी मानना है कि युवाओं में दिल की समस्याओं के अन्य सामान्य कारणों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मौजूदा चिकित्सा स्थितियां, धूम्रपान, मोटापा, तनाव, व्यायाम की कमी और पर्यावरण प्रदूषण जैसी जीवन शैली की समस्याएं शामिल हैं.