देहरादून से कार्यकारी संपादक आशीष तिवारी की स्पेशल रिपोर्ट –
आज से 26 साल पहले भारत में पहली बार फोन कॉल पर दो लोगों ने बात की थी. उस दौरान एक कॉल खर्च करीब24 रुपये थे. आउटगोइंग के साथ-साथ इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसे खर्च करने होते थे
आज के समय में हर किसी के पास स्मार्टफोन है. अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल केवल कॉल करने के लिए ही नहीं बल्कि कई तरह के काम के लिए किया जाता है. लेकिन, शायद ही कुछ लोगों को पता होगा कि भारत में पहली बार कब फोन कॉल हुआ था और किन दोनों ने फोन कॉल पर पहली बार बात की थी. अगर आपको भी इस रोचक बात के बारे में नहीं पता है तो चिंता मत कीजिए, हम आपको इस बारे में आज पूरी जानकारी दे रहे हैं. हम यह भी बताएंगे कि ये कितनी महंगी कॉल थी.
आप सोच रहे होंगे आज ऐसा क्या खास है, जो हम आपको यह जानकारी दे रहे हैं. दरअसल, 31 जुलाई 1995 को ही भारत में पहली बार फोन कॉल पर दो लोगों के बीच बात हुई थी. आज से 26 साल पहले तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुखराम और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के बीच देश के पहले फोन कॉल पर बात हुई थी. उस वक्त फोन कॉल पर 24 रुपये प्रति मिनट खर्च करने होते थे.
एक मिनट बात करने के लिए खर्च हुए 24 रुपये
उस दौर के संचार मंत्री सुखराम ने दिल्ली के टेलीकम्युनिकेशंस विभाग से पहला कॉल लगाया था. ज्योति बसु उस दिन पश्चिम बंगाल कोलकाता स्थित राइटर्स भवन में थे. दोनों नेताओं ने इसे महत्वपूर्ण माना था. ज्योति बसु ने कहा था कि वायरलेस तकनीक पर यह टेलीफोन सिस्टम देश की सबसे बड़ी क्रांति साबित होने वाली है. उस दौर में एक कॉल की आउटगोइंग खर्च करीब 16 रुपये और इनकमिंग खर्च 8 रुपये थी. इस प्रकार एक कॉल पर 24 रुपये खर्च करने होते थे. दरअसल, उस दौरान इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल, दोनों के लिए पैसे लगते थे.
देशभर में सबसे पहले मोबाइल नेटवर्क कोलकाता में पहुंचा था
भारत में इस पहले कॉल किए जाने की कहानी तो दिलचस्प है ही. इसकी शुरुआत भी उतनी ही खास है. दरअसल, साल 1994 में ज्योति बसु ने बिजनेस मैन भूपेंद्र कुमार मोदी के साथ मुलाकात में कहा था कि कोलकाता वो शहर होना चाहिए, जहां देश में सबसे पहले मोबाइल नेटवर्क पहुंचे. इसके बाद इस प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया गया था. बीके मोदी की कंपनी का नाम मोदी टेल्स्ट्रा था. मोदी ने ऑस्ट्रेलिया की टेल्स्ट्रा के साथ मिलकर भारत में जीएसएम नेटवर्क पर काम करना शुरू किया था.