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उत्तराखंड में ‘कन्फ्यूजन का टीका’: कहीं नियमों का घालमेल तो कहीं सरकार का ग्लोबल टेंडर फेल

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उत्तराखंड में वैक्सीन को लेकर किल्लत है.

उत्तराखंड में वैक्सीन को लेकर किल्लत है.

Uttarakhand News : एक तरफ स्थिति यह है कि लोग नियमों और व्यवस्थाओं के चलते कन्फ्यूज़ भी हैं, परेशान भी तो सरकार के पास भी जवाब नहीं है कि टीका कब मिल सकेगा क्योंकि राज्य को ही आपूर्ति के बारे में जवाब नहीं मिल रहे.

देहरादून. कोविड-19 वैक्सीन जुटाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने जो ग्लोबल टेंडर जारी किया था, उस पर किसी वैक्सीन निर्माता कंपनी का रिस्पॉंस न मिलने के चलते उसकी आखिरी तारीख एक हफ्ते और बढ़ा दी गई है. अन्य कुछ राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी कोरोना टीकाकरण अभियान वैक्सीन की कमी की भेंट चढ़ रहा है. 18 साल से ज़्यादा उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीन का स्टॉक शुक्रवार तक का शेष है और उसके बाद राज्य में वैक्सीनेशन के ठप होने की आशंका है, जैसे दिल्ली में वैक्सीन सेंटर इसलिए बंद हो चुके हैं क्योंकि लोगों की मांग के हिसाब से वैक्सीन की आपूर्ति है ही नहीं.

वैक्सीन की आपूर्ति के लिए विदेशी कंपनियां अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड के टेंडर पर भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं. इधर, वैक्सीन के टोटे का आलम यह है कि राज्य की ओर से केंद्र को 1.42 लाख वैक्सीन के लिए रकम जमा करवाए जाने के बाद भी केंद्र से कोई जवाब नहीं है कि वैक्सीन कब तक मिलेगी. वहीं, ऐसी खबरें भी हैं कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन के अलग केंद्र बनने और दोनों वैक्सीन के डोज़ में दिनों के गैप भी अलग होने से लोग कन्फ्यूज़ हो रहे हैं.

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क्या है ग्लोबल टेंडर का मसला?15 मई को उत्तराखंड ने वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया था, लेकिन महाराष्ट्र की तरह उसे भी किसी कंपनी ने अप्रोच नहीं किया. इस टेंडर में 25 मई आवेदन की आखिरी तारीख थी, जिसे अब 31 मई तक बढ़ाने की पुष्टि उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग डीजी डॉ. तृप्ति बहुगुणा ने की. इससे पहले टेंडर जारी किए जाते समय राज्य के मुख्य ​सचिव ओम प्रकाश ने वैक्सीन मिलने की उम्मीद जताते हुए कहा था चूंकि ‘केंद्र के पास जितनी वैक्सीन है, उसकी केवल 1 फीसदी ही उत्तराखंड के हिस्से में दी गई है इसलिए राज्य को अपने बूते ही वैक्सीन जुटाना होगी.’

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वैक्सीन शॉर्टेज के चलते उत्तराखंड में 18 प्लस ग्रुप का वैक्सीनेशन कार्यक्रम ठप हो सकता है.

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वैक्सीन की कमी लगातार परेशानी

मौजूदा और आने वाले समय में वैक्सीन की सबसे ज़्यादा डिमांड 18 प्लस वाले ग्रुप से ही है लेकिन आज कल में इनके टीकाकरण की कवायद ठप हो सकती है. इससे पहले वैक्सीन की कमी के चलते ही राज्य में 45 प्लस वाले लोगों के लिए वैक्सीनेशन को रोकना पड़ा था. इस ग्रुप के लिए वैक्सीन मिलने का सिलसिला जैसे तैसे शुरू हुआ तो अब दूसरे ग्रुप में टोटा पड़ गया. नोडल अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि राज्य ने केंद्र को राशि एडवांस जमा करवा दी है लेकिन 1.42 लाख वैक्सीन का इंतज़ार बेमियादी होता जा रहा है.

और टीके को लेकर क्या है कन्फ्यूजन?

एक तरफ, केंद्र से जवाब न मिलने पर राज्य सरकार कन्फ्यूज़ है कि टीका कब तक मिलेगा तो दूसरी तरफ, लोग अलग नियम कायदों से कन्फ्यूज़ हो रहे हैं. दो वैक्सीनों के लिए अलग अलग केंद्र बनाए जाने से दूरदराज से पहुंच रहे लोग परेशान हो रहे हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो वैक्सीन के दूसरे डोज़ के लिए कुछ लोग 28 दिन तो कुछ 45 दिन बाद पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें 84 दिनों के गैप का नियम समझाया जा रहा है. कुछ टीकाकरण केंद्रों में सन्नाटा हो गया है तो स्लॉट आसानी से न मिलने के चलते भी लोग इधर उधर भटक रहे हैं.





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