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1100 करोड़ रुपयों से बनी आलवेदर रोड को माना जा रहा था वरदान, लेकिन बन गई अभिशाप!

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सड़क बनी यात्रियों के लिए मुसीबत.

सड़क बनी यात्रियों के लिए मुसीबत.

टनकपुर से पिथौरागढ़ तक 150 किलोमीटर की रोड को केंद्र सरकार से मिली मदद से आलवेदर रोड में तब्दील किया गया है. चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाले NH 125 को आलवेदर रोड में तो तब्दील कर दिया गया है.

पिथौरागढ़. टनकपुर से पिथौरागढ़ तक 150 किलोमीटर की रोड को केंद्र सरकार से मिली मदद से आलवेदर रोड में तब्दील किया गया है. चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाले NH 125 को आलवेदर रोड में तो तब्दील कर दिया गया है, लेकिन हो ठीक उल्टा रहा है. दावों के विपरीत ये अहम हाइवे आए दिन बंद हो रहा है. चंपावत और पिथौरागढ़ की लाइफ लाइन में अक्सर भारी लैंडस्लाइड के कारण बंद हो रही है, जिसके चलते लाखों की आबादी को आए दिन दिक्कतें उठानी पड़ रही है. असल में इस हाइवे में आलवेदर रोड की कटिंग के दौरान कई डेंजर जोन बन गए हैं, जो आए दिन दरक रहे हैं.

150 किलोमीटर के इस हाइवे में 15 से अधिक डेंजर जोन बन गए हैं, जिनका ट्रीटमेंट निहायती जरूरी हो गया है. एनएच के एई पीएल चौधरी का कहना है कि डेंजर जोन के ट्रीटमेंट का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है. प्रस्ताव को हरी झंडी मिलते ही काम शुरू किया जाएगा. चिपकोट, दिल्ली बैंड, भारतोली, स्वाला, घाट इस कदर खतरनाक हो गए हैं कि यहां आए दिन पहाड़ियां दरक रहीं हैं.

यात्रियों को दिक्कत

हाइवे के बंद होने से यात्रियों को तो दिक्कत हो ही रही रही है, लेकिन नुकसान सबसे अधिक व्यापारियों को हो रहा है. ज़िला व्यापार संघ के अध्यक्ष पवन जोशी कहते हैं कि लैंडस्लाइड होने से अक्सर हाइवे 2 से 3 दिनों के लिए बंद हो रहा है, जिससे बाहर से सब्जी फल लाने वाले व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है. हाइवे में  माल गाड़िया फसने से फल-सब्जियां सड़ जाती हैं.





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