उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ता ध्यान दें !

केंद्र सरकार ने भी नियम जारी किया कि महंगी बिजली की राशि लोगों से उसी माह से लेने की व्यवस्था की जाए, ताकि बाजार से बिजली उधार में न लेनी पड़े। जिस पर विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में यह व्यवस्था लागू करने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट के नए नियम जारी किए हैं। जिसके तहत यूपीसीएल जब बाजार से महंगी बिजली खरीदेगा तो उस महीने के बिल में उसका असर दिखाई देगा। अब तक ऊर्जा निगम के लिए विद्युत नियामक आयोग हर साल बिजली खरीद का बजट तय करता था।

खर्च में आएगा अंतर

विद्युत नियामक आयोग के सचिव नीरज सती का कहना है कि इस नई व्यवस्था के तहत कुल बिजली खरीद के लिए तय बजट के बाद खर्च का जो भी अंतर आएगा, वह हर माह के बिल में जुड़कर आएगा। यदि अतिरिक्त पैसा खर्च नहीं हुआ होगा तो बिल में भी कोई बदलाव नहीं होगा। उन्होंने बताया कि हर महीने महंगी बिजली का भार बिजली उपभोक्ताओं पर कुल औसत बिजली दर से 20 फीसदी से अधिक नहीं होगा। आयोग ने यह व्यवस्था कर उत्तरांचल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड पर लगाम लगाने की कोशिश की है। आयोग की इस नई व्यवस्था से बिजली उपभोक्ताओं को कुल बिजली दर से महंगी बिजली का 20 प्रतिशत से अधिक भुगतान नहीं करना होगा।

ये रहेंगे रेट

घरेलू उपभोक्ताओं की औसत बिजली दर 5.33 रुपये प्रति यूनिट है। इस तरह देखा जाए तो अतिरिक्त महंगी बिजली का भार किसी भी सूरत में 1.07 रुपये प्रति यूनिट से अधिक नहीं होगा। कमर्शियल रेट 1.50 रुपये प्रति यूनिट, एलटी इंडस्ट्री रेट 1.40 रुपये प्रति यूनिट और एचटी इंडस्ट्री के रेट 1.45 रुपये प्रति यूनिट के रेट से नीचे ही रहेंगे।

फ्यूल चार्ज से तय होंगे बिजली दाम
प्रदेश में ऊर्जा निगम अब तक गैस और कोयले से चलने वाले पावर प्लांट से ही बिजली खरीदता है। उनके लिए फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट हर 3 महीने में होता है। इस मद में हर 3 महीने में फ्यूल चार्ज के रेट बिजली के बिल में बदलकर आते हैं। फ्यूल चार्ज के रेट कभी बढ़कर आते हैं तो कभी कम भी हो जाते हैं और कभी-कभी पूरी तरह से माफ भी रहते हैं। अब यह फ्यूल चार्ज 3 महीने की बजाय हर महीने तय होकर उपभोक्ताओं से नियमित रूप से वसूले जाएंगे।

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