हाशिये पर हरदा मगर चर्चाओं में हरदा – दिल्ली दूर नहीं

वजूद को बचाने की लड़ाई लड़ने वाली कांग्रेस के लिए गजब का सियासी अखाड़ा बनता जा रहा है उत्तराखंड.2022 से पहले 2017 की हार में एक बात सामान्य है और वो है हरीश रावत

पहाड़ की राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत को लगातार दो बार विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा.जिससे उनके राजनीतिक भविष्य पर संकट के बादल छाये हुए हैं.वहीं, पार्टी में अपनी अनदेखी को लेकर भी हरदा इन दिनों आहत नजर आ रहे हैं.जिसको लेकर गाहे-बगाहे वो सोशल मीडिया के जरिए अपना दर्द बयां करते रहते हैं. जो आये दिन खबरों में सुर्खियां बनी रहती है.एक फिर हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए अपना दर्द बयां किया है.उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि एक समय था, जब उत्तराखंड प्रवासियों में कांग्रेस का बड़ा दबदबा था.आज वो दबदबा भाजपा और आप का बन गया है.मेरे मन में लालसा है कि एक बार फिर दिल्ली स्थित उत्तराखंड प्रवासियों में कांग्रेस ka मजबूत करूं.खैर ये विचार हैं देखिए मन और मस्तिष्क क्या कहता है ? जिधर दोनों एक साथ कहेंगे, उस ओर चल पडूंगा.

उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि मेरा स्वास्थ्य और राजनीतिक स्वास्थ्य, दोनों स्थान परिवर्तन चाह रहे हैं.अर्थात उत्तराखंड से दिल्ली की ओर प्रस्थान किया जाए.जब भी मैं दिल्ली जाने की सोचता हूं तो बहुत सारे ऐसे साथी, जिन्होंने 1980 के बाद मुझे सहारा दिया और दिल्ली से परिचित करवाया, उनकी याद आती है.

अब प्रदेश में नया निज़ाम मिल गया है.17 अप्रैल को नए अध्यक्ष करन माहरा कुर्सी सम्हालेंगे और उनका कहना है कि कोई नाराज़गी नहीं है। कोई बगावत नहीं है। लेकिन जो धुंआ कांग्रेस नेताओं के बयान से उठ रहा है ुकि चिंगारी कब कहाँ भड़केगी इसका इंतज़ार सभी को है।

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