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डिजिटल वायलेंस से हो सकती है आपके मोबाइल में जासूसी

दुनिया में पहले लोग फिजिकल वायलेंस के बारे में ही जानते थे, लेकिन डिजिटल क्रांति के बाद अब लोगों के बीच डिजिटल वायलेंस का मुद्दा विकरात होता जा रहा है. डिजिटल वायलेंस में अभी तक केवल सोशल मीडिया पर लोगों को ट्रोल या स्टॉक किया जाता था, लेकिन अब इससे एक कदम आगे बढ़कर न जाने डिजिटली लोगों को किन-किन तरीको से नुकसान पहुंचाया जा रहा है. हाल ही में एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि पति-पत्नी या लिविन पार्टनर या एक्स एक दूसरे की जासूसी कर रहे हैं, जिसमें ये स्टॉकरवेयर ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं.

आपको बता दें इस तरीके की जासूसी डिजिटल वॉयलेंस में आती है और ये नया ट्रेंड है, जिसमें पार्टनर एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने के लिए शारीरिक, मनोवैज्ञानिक या सामाजिक नुकसान पहुंचाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. जिसके खिलाफ डिजिटल वॉयलेंस का इस्तेमाल किया जाता है, वो एकदम पूरी तरह टूट जाता है. ऐसे में अगर आप डिजिटल वॉयलेंस के नए ट्रेंड से बचना चाहते हैं तो आपको इस खबर को पूरा पढ़ना चाहिए, जिसमें हम आपको पार्टनर द्वारा जासूसी किए जाने पर इसके लक्षण पहचानने के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

कैसे की जाती है पार्टनर द्वारा जासूसी

डिजिटल वॉयलेंस के इस नए ट्रेंड में पार्टनर एक दूसरे की बेवफाई साबित करनके लिए स्टॉकरवेयर ऐप, एंटी थेफ्ट ऐप, पैरेंटल कंट्रोल ऐप या किसी अन्य ऐप को पार्टनर के स्मार्टफोन में चोरी-छिपे इंस्टॉल कर देते हैं. जिसके बाद उनके पास पार्टनर के फोन पर आने वाले नोटिफिकेशन, लोकेशन, कैमरा, फोटो, स्क्रीनशॉट, SMS, कैलेंडर और सोशल मीडिया का एक्सिस आ जाता है.

तीसरे नंबर पर भारतीय पार्टर की जारूसी के मामले में

साइबर सिक्योरिटी कंपनी कैस्परस्काई की ओर से जारी ‘स्टेट ऑफ स्टॉकवेयर रिपोर्ट 2023’ के अनुसार भारत में 2,492 मोबाइल यूजर स्टॉकवेयर से पीड़ित हैं. रूस 9,890 पीड़ितों के साथ पहले और ब्राजील 4, 186 के साथ दूसरे स्थान पर है. कोविड महामारी के बाद इसकी संख्या में कमी दर्ज की गई थी। पर इसके मामले फिर से बढ़ने लगे हैं.

ऐसे कर सकते हैं डिजिटल वॉयलेंस के नए ट्रेंड से

स्टॉकरवेयर से बचने के लिए सबसे पहले उन एप्स को हटाएं, जो उपयोग में नहीं आते. सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा, फैक्टरी रिसेट विकल्प भी काम आ सकता है. हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, पहले स्थानीय साइबर अपराध से जुड़ी संस्था की मदद लेनी चाहिए. ऐसे किसी खतरे से बचने के लिए फोन को हमेशा यूनिक पासवर्ड से लॉक रखें और इसे किसी से भी साझा न करें. कोई भी एप हमेशा अधिकृत स्रोत से ही डाउनलोड करें.

अगर फोन की बैटरी जल्द खत्म हो तो समझें ये बात

स्टॉकरवेयर की पहचान थोड़ी मुश्किल होती है. लेकिन अगर आपके मोबाइल की बैटरी जल्दी खत्म होने लगे, डेटा ज्यादा खर्च हो, कोई ऐप अचानक बिना अनुमति दिए आपकी लोकेशन को ट्रैक करने लगे, तो एंड्रॉयड डिवाइस यूजर्स ‘अननोन सोर्सेज’ सेटिंग्स की जांच करें. यदि यह चालू है, तो यह संकेत हो सकता है कि किसी अज्ञात सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया है. यदि डिवाइस में स्टॉकरवेयर है, तो इसे हटाने में कर रहा व्यक्ति सतर्क हो सकता है, जिससे खतरा बढ़ सकता है.

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