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क्या आपको पता है पहले यूरोपीय लोग टमाटर खाने से डरते थे।

विद्वानों का मानना है कि हर्नान कोर्टेस ने 1519 में बीजों को बगीचे में सजावटी रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले फलों के इरादे से लाया था। 1700 के दशक तक, अभिजात वर्ग ने टमाटर खाना शुरू कर दिया था, लेकिन उन्हें यकीन था कि फल जहरीले थे क्योंकि लोग उन्हें खाने के बाद मर जाएंगे। वास्तव में, टमाटर की अम्लता ने उनकी पेवर प्लेटों में सीसा निकाला, और वे वास्तव में सीसा विषाक्तता से मर गए।15वीं शताब्दी में टमाटर यूरोप पहुंचे। लेकिन, अगले दो साल तक यहां के लोग इसे खाने से डरते थे। क्योंकि यहां के लोग इसे जहरीला मानते थे। यही कारण था कि यूरोप में टमाटर को ‘जहर वाला सेब’ कहा जाता था। इसके कई कारण थे, जैसे अमीर लोगों ने टमाटर खाया और मर गए। बाद में पता चला कि मौत का कारण फैंसी जिंक प्लेट्स था।

इन प्लेटों में लेड की मात्रा अधिक थी। टमाटर में एसिडिटी होती है। ऐसे में जब टमाटर को जिंक की प्लेट में रखा जाता तो वह उसमें से सीसा निकाल देता। नतीजतन, टमाटर खाने वाले लोग मर जाते और मौत का दोष टमाटर के सिर पर था। 188 में नेपल्स में पिज्जा की खोज के बाद, पूरे यूरोप में टमाटर की लोकप्रियता बढ़ी।उस दौर के एक डॉक्टर जेरार्ड ने टमाटर के तनों और पत्तियों से आने वाली भयानक गंध के कारण पूरे पौधे को बदबूदार बताया था। टमाटर को लेकर जेरार्ड का भ्रम ब्रिटेन और ब्रिटेन के उत्तरी अमेरिकी उपनिवेशों में 20 साल तक सच रहा। उस दौर के वैज्ञानिकों ने भी टमाटर को जहरीले पौधों की श्रेणी में रखा था। टमाटर के अंदर डरावने दिखने वाले कीड़े लग जाते थे।

यह भी लोगों में दहशत फैलाने का एक कारण बना। हालाँकि, आज टमाटर दुनिया के हर देश में खाया जाता है और दुनिया भर में हर साल 1.5 बिलियन से भी ज्यादा टन टमाटर का उत्पादन होता है।

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