देवभूमि की तीर्थ नगरी है हरिद्वार , जहाँ मोक्ष और पुण्य की कामना लिए दुनिआ भर से गंगा भक्त आते हैं , नहाते हैं डुबकी लगते हैं और गंगाजल का आचमन करते हैं। लेकिन आपको हैरानी होगी ये जानकर कि गंगा के मायके में ही गंगा जल अशुद्ध हो गया है। जी हाँ ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड की ताज़ा रिपोर्ट कहती है।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भगीरथ बिंदु और हरकी पैड़ी से लेकर रुड़की तक 12 जगहों पर गंगाजल की सैंपलिंग की थी, जिसमें प्रदूषण की जांच रिपोर्ट में हरिद्वार में गंगा का जल बी श्रेणी की कैटेगरी में मिला है , मतलब ये है कि यह गंगाजल पीने योग्य कम है, लेकिन आचमन के लायक है. इसके साथ यह नहाने और जलीय जीवों के लिए काफी फायदेमंद माना गया है।
चलिए अब आपको ये भी बता दें कि पानी को चार श्रेणी में बांटा गया है जिसमें ए श्रेणी का पानी पीने के लिए बेहतर माना जाता है.इसके अलावा बी और सी श्रेणी का पानी नहाने और ट्रीटमेंट कर पीने योग्य किया जा सकता है. जबकि डी श्रेणी का जल पशुओं के लिए उपयुक्त माना जाता है.
वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि हरिद्वार हरकी पैड़ी से लेकर रुड़की तक हर महीने गंगाजल की सैंपलिंग की जाती है.इस बार बी श्रेणी का गंगाजल मिला है,जो कि सर्वोत्त्म नहीं लेकिन बेहतर होता है.
बोर्ड के मुताबिक जांच में डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) और बॉयोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर स्टैंडर्ड मानक से अच्छा मिला है.वहीं, कोलीफॉर्म (एफसी) और टोटल कोलीफॉर्म (टीसी) का स्तर अधिक होने से गंगाजल बी श्रेणी में आया है.यह बिना क्लोरिनेशन के पीने योग्य नहीं है.
जैसा कि हम और जानते हैं कि हरिद्वार दुनियाभर में हिंदू आस्था का केंद्र है. जबकि प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां आकर डुबकी लगाते हैं। हरकी पैड़ी के अलावा भगीरथ बिंदु,ललतारो पुल, डामकोठी, ऋषिकुल, रुड़की,अजीतपुर, बिशनपुर,सुल्तानपुर,लक्सर, कुडीनेतवाल और कंकरखेड़ा में गंगाजल का सैंपल लिया गया। अब देखना होगा कि जब बोर्ड अगली बार सैम्पल लेता है तो गंगाजल में कितनी शुद्धता और अशुद्धता की मात्रा सामने आएगी।