सरकारी डॉक्टर निजी प्रैक्टिस को दे रहे हैं बढ़ावा.!

 

सरकारी लाभ लेने वाले ऐसे निजी प्रैक्टिस करने वालो पर कब होगी सरकार सख्त.?

लखनऊ।सरकार सस्ता इलाज कराने के लिए कराने के लिए सदैव प्रयासरत रहती है जो कि एक नागरिक का सबसे पहले अधिकार भी है कि वह चिकित्सा सही ढंग से पाए और इसके लिए सरकार के प्रयास स्पष्ट रूप से दिखाई भी देता है लेकिन सरकारी अस्पतालों में अपनी चिकित्सा सेवाएं देने वाले चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में मरीजों को देखने में कम दिलचस्पी दिखाते हैं तथा निजी प्रैक्टिस को ज्यादा महत्व देते हैं।सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रदेश सरकार सख्ती कर रही है, मगर कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे अधिकांश सरकारी डॉक्टर किसी प्राइवेट हॉस्पिटल व अपने घर पर ही प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं!

निजी अस्पतालों में मरीज देखने से लेकर कई डॉक्टर कई जिलों में हॉस्पिटल भी चला रहे हैं!सूत्रों की माने तो प्रदेश सरकार ने स्पष्ठ निर्देश दिया हुआ है कि सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़े जाने पर डॉक्टरी की डिग्री निरस्त करने के साथ ही हॉस्पिटल का लाइसेंस भी निरस्त किया जाएगा! उनसे नॉन प्रैक्टिस अलाउंस भी वसूला जाएगा!इसके बाद भी प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक नहीं लगी है ज्यादातर जिलो के जिला अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों के अधिकांश डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं इन्होंने अपने आवास को ही क्लीनिक बना लिया है, यहां मरीजों से 400 से 500 रुपये शुल्क लिया जा रहा है!इनका कोई पंजीकरण भी नहीं है इसी तरह उत्तरप्रदेश के कई जिलों में महिला चिकित्सकों के डॉक्टर पति के नाम से हॉस्पिटल हैं

तो कई पुरुष डॉक्टर अपनी डॉक्टर पत्‍‌नी के नाम से चल रहे हॉस्पिटल में इलाज कर रहे हैं!शहर के बड़े निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भी देख रहे हैं तथा वही अगर सूत्रों की माने तो कुछ सरकारी अस्पतालों में परीक्षण करने वाले डॉक्टर इलाज के लिए निजी क्लीनिक व नर्सिग होम को ज्यादा मुफीद समझते हैं! ओपीडी में मरीजों को देखने के बाद उनको निजी अस्पताल बुलाया जाता है! यह खेल अर्से से चल रहा है इसके पीछे चिकित्सक खुद सरकारी अस्पताल में बेहतर उपचार न होने का हवाला देते हैं और मरीजो को गुमराह करके अपनी जेबें भरते हैं।निजी चिकित्सा के क्षेत्र में अपने को ज्यादा सक्रिय रख कर सरकारी अस्पतालों के प्रति उदासीनता दिखाने वाले चिकित्सकों के प्रति सरकार को थोड़ा गंभीर को सख्त रवैया अपनाना चाहिए तथा सरकारी सेवाओं को स्वस्थ और आसान बनाया जा सके आम नागरिक बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्राप्त कर सके।

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