देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर अनुमान है कि बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित होंगे। ब्रिटेन और अमेरिका कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहे हैं। ब्रिटेन में बच्चों और किशोरों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं।
अमेरिका में बच्चों को टीका लगने के बाद भी वायरस अपनी चपेट में ले रहा है। सवाल ये है कि क्या कोरोना अब बच्चों और युवाओं की बीमारी बनकर सामने आने वाली है।
परीक्षण का सटीक नतीजा होने पर ही टीका
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में 12 से 18 वर्ष के बच्चों की संख्या करीब दस करोड़ है। परीक्षण में टीके का सटीक नतीजा नहीं आता है तब तक बच्चों को टीका लगाना सही नहीं है। भारत बायोटेक की कोवाक्सिन व जायडस कैडिला की वैक्सीन को जल्द ही बच्चों को लगाने की अनुमति मिल सकती है।
बच्चों में एमआईएस सबसे बड़ी चुनौती
लखनऊ के लोहिया संस्थान की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका पांडे बताती हैं कि बच्चों में कोरोना से लंबे समय तक तकलीफ बड़ी चुनौती है। मल्टी इन्फलैमेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन (एमआईएससी) के कारण बच्चों को हृदय, किडनी, रक्त वाहिका और फेफड़ों संबंधी तकलीफ से गुजरना पड़ रहा है। कैंसर समेत अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों के लिए ये वायरस अभिशाप है।