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कोरोना के बाद जानलेवा ‘ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ का खतरा बढ़ा

साल 2019 के अंत में चीन के वुहान में कोरोना वायरस मिला, जो इंसानी आंखों से दिखाई नहीं देता था, लेकिन इसने लाखों लोगों की जान ले ली। इसी तरह बहुत से दूसरी परजीवी भी हैं, जो दिखाई तो नहीं देते, लेकिन इंसानी शरीर को इतना ज्यादा नुकसान पहुंचा देते हैं कि वो खोखले हो जाते हैं। अब एक अमीबा ने डॉक्टरों की टेंशन बढ़ा दी है, जो इंसान के शरीर में घुसकर उनका दिमाग खा रहा है।

अचानक शख्स पड़ा बीमार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के आयोव में एक शख्स स्विमिंग कर रहा था। वहां पर उसकी तबीयत ठीक थी, लेकिन घर पहुंचने के बाद उसकी हालत खराब हो गई। आनन-फानन में उसे अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने शुरू में जांच की तो कुछ भी नहीं मिला, साथ ही उसकी कोई खास मेडिकल हिस्ट्री भी नहीं थी।दक्षिण कोरिया में नेगलेरिया फाउलेरी यानी ‘ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ संक्रमण का पहला मामला सामने आया है। कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी (केडीसीए) ने पुष्टि की है कि एक कोरियाई नागरिक, जिसकी थाईलैंड से लौटने के बाद मृत्यु हो गई थी, वह नेगलेरिया फाउलेरी से संक्रमित था। यह एक ऐसी बीमारी है, जो मानव मस्तिष्क को नष्ट कर देता है। दक्षिणपूर्व एशियाई देश में चार महीने रहने के बाद 50 वर्षीय व्यक्ति 10 दिसंबर को कोरिया वापस आया और अगले दिन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पिछले सप्ताह मंगलवार को उसका निधन हो गया।

यह देश में इस बीमारी से होने वाला पहला मामला है, जिसे पहली बार 1937 में संयुक्त राज्य अमेरिका में दर्ज किया गया था। बता दें, नेगलेरिया फॉवलेरिया एक अमीबा है, जो आमतौर पर दुनिया भर में गर्म मीठे पानी की झीलों, नदियों, नहरों और तालाबों में पाया जाता है। अमीबा नाक के माध्यम से सांस में जाता है और फिर मस्तिष्क में समा जाता है।

मानव-से-मानव में फैलने की संभावनाएं कम

केडीसीए ने कहा कि नेगलेरिया फाउलेरी के मानव-से-मानव में फैलने की संभावनाएं कम हैं, लेकिन स्थानीय निवासियों को उन क्षेत्रों में जाने से परहेज करने के लिए कहा है, जहां बीमारी फैल गई है। अमेरिका, भारत और थाईलैंड सहित दुनिया में 2018 तक नेगलेरिया फाउलेरी के कुल 381 मामले दर्ज किए गए थे।

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