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10वीं और 12वीं से पहले ही बच्‍चों को ये तीन financial टिप्स ज़रूर सिखाएं

विशेष रिपोर्ट – फ़िरोज़ गाँधी

कुछ भी सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती है। आप किसी भी उम्र में सीखना शुरू कर सकते हैं। बच्चे चार से पांच साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू करते हैं लेकिन बच्‍चों को शिक्षा देना, आप जब चाहें शुरू कर सकते हैं। स्‍कूल में बस किताबी पढ़ाई करवाई जाती है और यहां पर बच्‍चों को फाइनेंशियल शिक्षा यानी पैसों से जुड़ी शिक्षा नहीं दी जाती है। जबकि हम सभी जानते हैं कि कम उम्र से ही पैसों की कीमत पता होना बहुत जरूरी है।

फॉर्मल एजुकेशन में फाइनेंशियल लिटरेसी यानी आर्थिक शिक्षा शामिल नहीं होती है लेकिन घर पर पेरेंट्स बच्‍चों को यह सिखा सकते हैं। आमतौर पर बच्चे के दस से बारह साल के होने पर, पेरेंट्स उसे खर्चे के लिए पैसे देना शुरू कर देते हैं। बच्‍चे के हाई स्‍कूल पहुंचने से पहले पैरेंट्स को उन्‍हें यह सिखा देना चाहिए कि उन्‍हें किस तरह समझदारी से पैसों को खर्च करना है। यहां हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं, जो आपके बच्चे को पैसों के महत्व के बारे में समझाने में मदद करेंगे।सेविंग – जब बच्‍चों को ज्यादा पैसे मिलने लगते हैं, तो वो अपना खर्चा भी बढ़ा देते हैं। आप इनकम बढ़ने पर खर्चे बढ़ाने की बजाय, उन्‍हें इन पैसों की बचत करना सिखाएं और सिखाएं कि खर्चे से ज्यादा बचत जरूरी होती है।

अकाउंट – पहले बच्‍चे गुल्‍लक में पैसे जोड़ते थे लेकिन अब वक्‍त बदल गया है। अब सेविंग्‍स के लिए नए स्‍मार्ट तरीके आ गए हैं। बच्‍चे का बैंक अकाउंट खुलवा दें या किसी शेयर या स्‍टॉक में इंवेस्‍ट करवा दें। इससे बच्‍चे का कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा।

बजट बनाना – बचत के बेसिक के बारे में बताने के बाद आपको बच्‍चे को बजट सिखाना है। जब बच्‍चा पैसे बचाने के लिए कोई गोल सैट कर लें फिर वो असल में सेविंग करना शुरू करता है, इसी समय आपको उसे बताना चाहिए कि अब उसे अपने लिए बजट बनाना है। अपने खर्चों की एक लिस्‍ट बनाए और देखे कि उसके बाद कितने पैसे बच रहे हैं। अगर आपके बच्‍चे की कोई इनकम नहीं है, तो आप उसे महीने की पॉकेट मनी देना शुरू करें। इसके बदले में आप उससे अपने कुछ काम भी करवा सकते हैं। बच्‍चों को कभी भी पैसे फ्री में नहीं मिलने चाहिए। उन्‍हें पता होना चाहिए कि पैसे कितनी मेहनत से कमाए जाते हैं।

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