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देश के नन्हे-मुन्नों ने पौधारोपण कर विश्व पर्यावरण दिवस पर मैं दिया अपना योगदान

पिछले कुछ दशकों में पॉलिथीन प्लास्टिक आदि से होने वाले प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ा है जो कि पूरे विश्व के लिए चिंताजनक विषय बन गया है और आने वाला समय है और भी गंभीर होने वाला है कई सारे देशों को सरकार द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण के इस मुद्दे को लेकर कड़े फैसले लिए जा रहे हैं प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करना मात्र सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं है वास्तव में अकेले सरकार इस विषय में कुछ कर भी नहीं सकती है इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब हम सब सभी इस समस्या को लेकर जागरूक हो और इसे रोकने में अपना योगदान दें प्रतिदिन की दिनचर्या में मुमकिन जगहों पर प्लास्टिक के बढ़ते हुए उपयोग को रोककर ही इस भयावह समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

इस प्रकार वर्तमान चुनौती का सामना करते हुए दिल्ली निवासी श्रीमती दीप्ति सिंघल का कहना है कि इलाज से बेहतर रोकथाम में अगर हमें भविष्य में आने वाली समस्याओं पर काबू पाना है तो हमें आने वाली जनरेशन अपने बच्चों को इस बारे में जागरूकता और सही ज्ञान देना बहुत जरूरी है हमें बच्चों की रोजमर्रा की दिन चार्य में अच्छी आदतों को शामिल करना होगा इसके लिए इसके लिए उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर अपने द्वारा आयोजित समर कैंप में बच्चों को पर्यावरण की सुरक्षा की महत्वता बताते हुए और क्या-क्या चीज पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ही जानी चाहिए के बारे में जानकारी दें वह पॉलिथीन से होने वाले पर्यावरण के प्रदूषण के बारे में बच्चों को समझाया और बताया कि उन्हें क्यों नहीं पॉलिथीन का प्रयोग करना चाहिए इस मौके पर उन्होंने बच्चों को वर्षों के महत्व को समझाया और हर बच्चे ने एक पौधे का रोपण करके विश्व पर्यावरण दिवस में अपना योगदान दिया दीप्ति का मानना है विश्व पर्यावरण दिवस एक दिन नहीं बल्कि हर दिन अपने सुबह उठने के साथ हर कदम पर बनाना जरूरी है इसके लिए जरूरी है कि हम अपने प्रतिदिन की दिनचर्य में पर्यावरण के लिए हानिकारक पूर्व थी और उसके उत्पादों को प्रयोग करना बंद करके उसकी जगह पर बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का प्रयोग करें। आदित्य ने बच्चों की गर्मियों की छुट्टियों में समर कैंप का आयोजन किया हुआ है जिसमें वह बच्चों के व्यक्ति के संपूर्ण विकास से संबंधित सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान कर रही है डिप्टी का मानना है कि हमें स्कूल में किताबें शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को समाज और पर्यावरण के निर्माण के बारे में प्रायोगिक शिक्षक जरूर प्रदान करनी चाहिए जिससे कि आने वाली जनरेशन हर समस्या के बारे में पहले से ही जागरूक हो और जिससे कोई समस्या आएगी ही नहीं।

 

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