विटामिन बी- 12 की कमी करती है आपको चुपचाप बीमार, मेन्टल हेल्थ पर पड़ता है इसका गंभीर असर

न्यूज़ वायरस नेटवर्क “

अमितेन्द्र मोहन शर्मा

भारतीयों के शरीर में विटामिन बी-12 की कमी तेज़ी से बढ़ रही है। इसकी सबसे बड़ी दुविधा ये है कि इसके लक्षण अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भ्रमित करके कब हमारे शरीर को बीमार बना देते हैं, हमें पता भी नहीं चलता।

कई विटामिन और पोषक तत्व मिलकर हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं। इनकी कमी होते ही हमारा शरीर हमें सचेत कर देता है। परंतु विटामिन बी-12 एक ऐसा तत्व है जिसकी कमी का पता आसानी से नहीं चलता। शांत रहकर यह धीरे-धीरे घटता जाता है और उसी तरह शरीर को प्रभावित करता है। इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर तो पड़ता ही है, मस्तिष्क को भी कई तरह से नुक़सान पहुंचाता है।

अध्ययनों बताते हैं
लगभग 47 फ़ीसदी भारतीय विटामिन बी-12 की कमी से ग्रसित हैं। केवल 26 फ़ीसदी लोगों में बी-12 का स्तर पर्याप्त पाया गया है। हमारे देश में बी12 की कमी एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बन रही है, जिसका समाधान किया जाना ज़रूरी है।
बी-12 की कमी का निदान सीबीसी यानी कम्प्लीट ब्लड काउंट और विटामिन बी-12 टेस्ट स्तर द्वारा रक्त परीक्षण से किया जाता है। यदि ख़ून में बी-12 की मात्रा 150 पीजी प्रति एमएल से कम है, तो शरीर में विटामिन बी-12 की कमी है।
 
आइये जानते हैं क्यों ज़रूरी है विटामिन बी-12 ?
शरीर को लाल रक्त कोशिकाएं, तंत्रिकाएं, डीएनए बनाने, मस्तिष्क के कार्य और अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए बी-12 की आवश्यकता होती है। आमतौर पर विटामिन बी-12 छोटी आंत (इलियम) के अंतिम भाग में अवशोषित हो जाता है। वहीं, अतिरिक्त बी-12 लिवर में इकट्‌ठा हो जाता है ताकि शरीर को जब उसकी आवश्यकता हो वो उसका इस्तेमाल कर सके। वयस्क को प्रतिदिन 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन बी-12 की आवश्यकता होती है। गर्भवती या स्तनपान करा रही माताओं को इसकी आवश्यकता अधिक होती है। शिशुओं और बच्चों के लिए आवश्यक बी-12 की मात्रा उनकी उम्र के आधार पर अलग-अलग होती है। अधिकांश विटामिनों की तरह, बी-12 शरीर द्वारा नहीं बनाया जा सकता है। इसे भोजन या सप्लीमेंट से प्राप्त किया जाता है।
कमी है या नहीं, ऐसे करें पहचान

शारीरिक लक्षण…

एनीमिया, थकान, कमज़ोरी, मतली, उल्टी, दस्त, वज़न घटना, असंयम, स्वाद और गंध की हानि आदि शामिल हैं।

तंत्रिकाओं को क्षति…

झुनझुनी, सुन्नपन, हाथों और पैरों में पिन और सुई चुभने जैसी संवेदना, चलने में परेशानी, जोड़ों का दर्द, कमज़ोरी और संतुलन संबंधी समस्याएं।

मनोवैज्ञानिक लक्षण…

निराशा, मानसिक भ्रम और स्मृति हानि। शुरुआत में लक्षण बहुत कम हो सकते हैं लेकिन कुछ महीनों में धीरे-धीरे बढ़ जाते हैं।

बी-12 की कमी के कारण

विटामिन बी-12 मुख्यतः मांसाहारी खाद्यों या पशु उत्पादों में पाया जाता है, जैसे मांस, दुग्ध उत्पाद और अंडे आदि। यह फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों में भी पाया जा सकता है, जिनमें विटामिन व पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, जैसे कॉर्नफ्लेक्स या ओट्स आदि। शाकाहारियों में इसकी कमी होने की आशंका ज़्यादा होती है। आहार के अलावा, उम्र, चिकित्सा स्थितियां, दवाएं और गैस्ट्रिक सर्जरी जैसे दूसरे कारक भी विटामिन बी-12 की कमी के कारण बन सकते हैं- उम्र बढ़ने के साथ-साथ, खाने से विटामिन बी-12 को सोखने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे इसकी कमी होती जाती है।

डाइट में शामिल करें ये विटामिन बी-12 की कमी होगी दूर

मांसाहारी लोग मांस, अंडे, मछली से बी-12 की पूर्ति कर सकते हैं।

वहीं शाकाहारी लोग रोज़ 250 मि.ली दूध का सेवन करें।
170 ग्राम दही का सेवन करें। दही को फोर्टिफाइड अनाज के साथ मिलाकर सेवन करने से विटामिन बी-12 मिलेगा।
100 ग्राम दही में दैनिक आवश्यकता का 20 फ़ीसदी विटामिन बी-12 मिलेगा।
फोर्टिफाइड अनाज जैसे कॉर्नफ्लेक्स, ओट्स आदि नट्स लिए जा सकते हैं।
शिताके मशरूम बी-12 से भरपूर होते हैं, लेकिन सीमित मात्रा में इनका सेवन करें। इन्हें सब्जि़यों और पनीर के साथ मिलाकर सेवन करने से फ़ायदा होगा।

इसके अलावा, भुट्टा, सेब, केला, संतरा, ब्लूबेरी, बादाम और मूंगफली के सेवन से भी विटामिन बी-12 प्राप्त होता है।

गेहूं की बासी रोटी में अच्छे जीवाणु बनते हैं जो कि हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। बासी रोटी विटामिन बी-12 की कमी पूरी करने में काफ़ी हद तक मददगार है।

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