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रिश्ते – नाते : इस्लाम में पति-पत्नी की क्या -क्या है जिम्मेदारियां

इस्लाम में पति और पत्नी की जिम्मेदारियां तय की गई हैं. जब तक दोनों लोग अपनी जिम्मेदारियां ठीक से नहीं समझेंगे तब तक जिंदगी का गाड़ी का पहिया ठीक से नहीं चल पाएगा. दरअसल अक्सर ये देखा जाता है कि पति या पत्नी अपना हक तो समझते हैं. एक दूसरे को अपने हक के बारे में बताते भी हैं लेकिन जब बात आती है दूसरे के हक की तो उसे भूल जाते हैं. यहां हम कुछ चीजों के बारे में बता रहे हैं. जिनसे समझा जा सकता है, कि शौहर और बीवी की क्या जिम्मेदारियां हैं.
मर्द की पहली जिम्मेदारी
मर्द की पहली जिम्मेदारी है मेहर अदा करना. महर अदा करना हर शादीशुदा मर्द के लिए बेहद जरूरी है. शादी की शर्तों में से एक शर्त 
मेहर अदा करना है.  मेहर  अदा करने का मकसद यह है कि औरत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना. लड़की अपने घर बार को छोड़कर अपने शौहर के साथ आती है. ऐसे में महर इसलिए अदा की जाती है ताकि लड़की के पास उसका कुछ निजी माल हो. जिसे वह अपनी मर्जी से खर्च कर सके. महर का मकसद यह भी है कि लड़की के पास उसका माल रहे तो उसकी हिम्मत बांधे और वह किसी की मोहताज न रहे. इसलिए कुरान में कहा गया है कि
‘औरतों को उनका महर राजी-खुशी से दे दो.’ (कुरान, सूरा-4, अन-निसा, आयत-4)
‘सबसे ज्यादा पूरी करने के लायक वह शर्त है, बीवी की सभी जरूरतों को पूरा करना.’
मर्द की दूसरी जिम्मेदारी
शौहर की दूसरी जिम्मेदारी है घर का खर्च उठाना. बुनियादी तौर पर घर की जिम्मेदारी जैसे कि बच्चों का लालन-पालन और देखरेख उनके जिम्मे है तो इसलिए रोजी रोटी का बंदोबस्त करना मर्द के जिम्मे रखा गया है. बीवी का खर्चा उठाने में तीन चीजें शामिल हैं खाना, कपड़ा और घर.
बीवी की पहली जिम्मेदारी
औरत पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वह बेवफाई न करे. अगर बीवी अपने शौहर से बेवफाई करती है तो वह सिर्फ अल्लाह के हुक्म की नाफरमानी नहीं करती बल्कि वह अपने शौहर का हक मारती है.

बीवी की दूसरी जिम्मेदारी
बीवी की जिम्मेदारी है कि वह अपने शौहर की कमाई का सम्मान करे. चूंकि शौहर कमाता है इसलिए उसकी कमाई पर पहला हक उसका है. इसलिए औरत को चाहिए कि वह शौहर के माल को खर्च करने से पहले शौहर की इजाजत ले.

मिली जुली जिम्मेदारियां
शौहर और बीवी की कुछ मिली जुली जिम्मेदारियां हैं. दोनों एक दूसरे को धोखा न दें. अगर ऐसा होगा तो घर बर्बाद हो जाएगा. इस बारे में मर्दों को खास तौर से हिदायत दी गई है.

इस बात का रखें ध्यान
एक दूसरे के साथ अच्छा बरताव करना भी बहुत जरूरी है. मर्दों में ये कमी पाई जाती है. क्योंकि मर्द कई मामलों में अपनी बीवियों पर ज्यादतियां कर देते हैं.
इस बारे में जिक्र है ‘औरतों के साथ भलाई और नेकी के साथ रहो-सहो.’ (कुरान, सूरा-4, अन-निसा, आयत-19)
हदीस में आया है कि ‘इनके साथ नर्मी बरतो, वरना ये कांच की तरह टूट जाएगी.’ (हदीस: बुखारी मुस्लिम)

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