मोहम्मद अरशद – न्यूज़ वायरस नेटवर्क रमजान में पढ़ी जाने वाली तरावीह की 20 रकात नमाज इस्लाम के दूसरे खलीफा हजरत उमर फारूख के जमाने से है। इसमें पूरा कुरान पाक सुना जाता है। यह इबादत नफिल इबादत की सुन्नत-ए-मुअक्किदा है इसलिए जानबूझकर तरावीह की नमाज छोड़ना गुनाह है। मजबूरी में मसलन, बुढ़ापे की कमजोरी, मुसाफिर और बीमारी की हालत में तरावीह छोड़ने की छूट है।
पैगंबर-ए-इस्लाम ने तरावीह की बुनियाद रखी थी। उनके पहले की उम्मत में तरावीह नहीं थी। हुजूर पाक ने तीन दिन तरावीह पढ़ी और छोड़ दी। इससे कि यह इबादत फर्ज न हो जाए। हालांकि हजरत उमर फारूख के शासनकाल में तरावीह की नमाज 20 रकात कर दी गई और अब तक पढ़ी जा रही है। इसमें कुरान पाक सुना जाता है।
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तरावीह में कुरान सुनाने वाले हाफिज इसक लिए तैयारियां करते हैं।
रमजान शुरू होने के बाद रात को तरावीह की विशेष नमाज अदा की जाती है। तरावीह की नमाज पूरे रमजान पढ़ी जाती है। कई जगहों पर 3 , 5 , 7 , 9 , 10,15,19.21 दिन में भी हाफिज पूरा कुरान पढ़कर सुनाते है। जिसे शबीना कहते है। तरावीह खत्म होने पर एक दूसरे को मुबारकबाद दी जाती हैं । तरावीह पूरी होने पर खास तौर से पुरे पूरी दुनिया के लिए दुआ की जाती है।
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