अफगानिस्तान में अपने अधिकारों और नई सरकार में अपनी भागीदारी के लिए तालिबान से लड़ रहीं महिलाओं को लेकर अब तालिबानी आकाओं ने बेतुका बयान दिया है। तालिबानी प्रवक्ता सैयद जकीरूल्लाह हाशमी ने कहा- ‘एक महिला मंत्री नहीं बन सकती है। महिलाओं के लिए कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है। उन्हें बच्चे पैदा करना चाहिए। उनका यही काम है। महिला प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान की सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हैं।
इधर अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की क्रूरता भी खुलकर दुनिया के सामने आने लगी है। राजधानी काबुल के एक पुलिस स्टेशन में तालिबानियों ने दो पत्रकारों को चार घंटे तक बंधक बनाए रखा और कपड़े उतरवाकर कर बेंत, चाबुक और बिजली के तारों से उनकी बेदम पिटाई की।
दोनों के शरीर पर घाव के निशान तालिबानी क्रूरता को बयां कर रहे हैं। इन पत्रकारों का कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने काबुल में अपने अधिकारों और पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं की न्यूज को कवर किया था।फोटोग्राफर नेमातुल्लाह नकदी ने एएफपी को बताया, ‘तालिबानियों में से एक ने मेरे सिर पर पैर रखा और कंक्रीट से मेरा चेहरा कुचल दिया। उसने मेरे सिर में लात मारी… मुझे लगा कि वे मुझे मारने जा रहे हैं।’
नेमातुल्लाह नकदी ने बताया कि रिपोर्टर तकी दरयाबी और उन्हें काबुल में एक पुलिस थाने के सामने महिलाओं द्वारा काम और शिक्षा के अधिकार की मांग करने वाले एक छोटे से विरोध को कवर करने का काम सौंपा गया था।
नकदी ने कहा कि जैसे ही उसने तस्वीरें लेना शुरू किया, तालिबान ने उन पर हमला कर दिया। उन्होंने कहा, आप फोटो नहीं ले सकते। फिर तालिबानियों ने हमसे फोन छीन लिए और हमें गिरफ्तार कर लिया। नकदी ने कहा कि तालिबान ने उनका कैमरा छीनने की कोशिश की, लेकिन वे भीड़ में किसी को सौंपने में कामयाब रहे।
हालांकि, तीन तालिबानियों ने उन्हें पकड़ लिया और थाने ले जाकर पिटाई शुरू कर दी। इस घटना की पूरी दुनिया में भर्त्सना हो रही है और पिटाई की तस्वीरों ने पत्रकारिता जगत के साथ साथ आम इंसान के मन में गुस्से को और भड़का दिया है।