अभी तक बीए, बीएससी और बीकॉम जैसे अंडर ग्रेजुएट कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को तीन साल में ही ग्रेजुएशन की डिग्री मिल जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-2024 से सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में अपनाए जाने वाले चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम यानी एफवाईयूजीपी की रूपरेखा को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अंतिम रूप दे दिया है।
यूजीसी ने कहा है कि चार साल के स्नातक कार्यक्रमों के लिए ये नियम जल्द ही से देश के सभी विश्वविद्यालयों में लागू कर दिए जाएंगे। 4 साल के स्नातक का यह कार्यक्रम आने वाले सेशन से सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अलावा अधिकांश राज्य और निजी विश्वविद्यालयों में लागू किया जाएगा। इसके अलावा, कई डीम्ड विश्वविद्यालय भी इस कार्यक्रम को अपने यहां लागू कर सकते हैं।FYUGP को 2023-2024 में शुरू होने वाले वर्तमान और पूर्व दोनों छात्रों के लिए UGC से मंजूरी मिलने का अनुमान है। सभी पुराने छात्रों के पास चार साल के स्नातक कार्यक्रमों को चुनने का अवसर होगा। इसका मतलब यह है कि जो छात्र 2023 से पहले से ही स्नातक कर रहे हैं उनके पास यह विकल्प होगा कि वे तीन साल के कार्यक्रम में ही रहना चाहते हैं या 4 साल के कार्यक्रम को अपनाना। यूजीसी का कहना है कि सभी छात्रों के पास चार साल के स्नातक कार्यक्रम में शामिल होने की छूट होगी, लेकिन उन्हें इसमें नामांकन करने की आवश्यकता नहीं है। यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार के मुताबिक, चार साल के अंडरग्रेजुएट कोर्स का पूरा शेड्यूल जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा।
FYUGP नियम
यूजीसी के अध्यक्ष के अनुसार, जो छात्र पहले से ही विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं और पहले या दूसरे वर्ष में हैं, उन्हें भी चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लेने का मौका दिया जाएगा।
यूजीसी विभिन्न विश्वविद्यालयों को अपनी शैक्षणिक और कार्यकारी परिषदों के माध्यम से अपने स्वयं के नियम और विनियम बनाने की स्वतंत्रता भी देगा।
अध्यक्ष ने कहा कि विश्वविद्यालय जो फैसला करता है, उसके आधार पर अंतिम वर्ष के छात्र को भी चार साल के यूजी कार्यक्रम में दाखिला लेने का मौका दिया जा सकता है।एमफिल और पीएचडी
चार साल के अंडरग्रेजुएट कोर्सवर्क को पूरा करने के बाद, दो साल की पोस्टग्रेजुएट डिग्री और एमफिल करने वाले छात्रों को पीएचडी कार्यक्रम में भर्ती होने के लिए कम से कम 55% ग्रेड प्राप्त करना होगा। ऐसा कहा जा रहा है कि एमफिल कार्यक्रम, हालांकि, अधिक लंबे समय नहीं चलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किए जा रहे संशोधनों के अनुसार आने वाले वर्षों में कई बड़े विश्वविद्यालय भी एमफिल पाठ्यक्रम की बंद कर देंगे।