अगर आप स्वाद लेने के शौकीन है तो ज़रा सतर्क हो जाइये ….
मंहगाई आपके लज़्ज़त को खट्टा कर सकती है। पंजाब और दिल्ली के पराठे का तो हर शख्स दीवाना होता है लेकिन अब जो खबर हम आपको बताने जा रहे हैं वो आपको अलर्ट करने वाली है। यदि आप पराठा खाना चाहते हैं तो आपको घर के बाहर 5 या 10 नहीं 18 फीसदी जीएसटी चुकाना पड़ेगा, लेकिन चपाती खाना चाहते हैं तो वह सस्ती पड़ेगी। चपाती पर पांच फीसदी ही टैक्स लगेगा।
देश में एक समान वस्तु व सेवा शुल्क जीएसटी (GST) प्रणाली लागू हुए इस साल जुलाई में पांच साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन इसकी पेचीदगियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। जीएसटी के अमल व अधिसूचनाओं को लेकर आए दिन विवाद सामने आते रहते हैं। ऐसा ही मामला रोटी व पराठे पर अलग-अलग जीएसटी दरों का है।यदि आप पराठा खाना चाहते हैं तो उस पर 18 फीसदी जीएसटी चुकाना पड़ेगा, वहीं रोटी खाना चाहते हैं तो 5 फीसदी। फ्रोजन रोटी-पराठे पर जीएसटी को लेकर पहले भी सवाल उठे हैं। इस उद्योग से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि दोनों को बनाने की मूल सामग्री चूंकि गेहूं का आटा है, इसलिए इस पर समान जीएसटी लागू होना चाहिए। वाडीलाल इंडस्ट्रीज का कहना था कि वह 8 तरह के पराठे बनाती है। इसमें मुख्यतः आटे का ही इस्तेमाल होता है। मालाबार पराठे में आटे की मात्रा 62 फीसदी और मिक्स्ड वेजिटेबल पराठे में 36 फीसदी होती है।
लेकिन गुजरात जीएसटी प्राधिकरण ने कहा कि रोटी रेडी टू ईट है, जबकि कंपनी का पराठा रेडी टू कुक है। कर प्राधिकारियों का साफ कहना है कि पराठा रोटी से पूरी तरह अलग है। रोटी या चपाती को आप बगैर मक्खन या घी लगाए भी खा सकते हैं, लेकिन पराठा इनके बगैर नहीं बनता, चूंकि घी चुपड़ी रोटी या पराठा एक तरह से विलासिता की श्रेणी में आते हैं, इसलिए इन पर 18 फीसदी की दर से कर वसूलना लाजमी है।