दस साल में पास नहीं हुए, तो टूटेगा डाक्टर बनने का सपना

नेशनल मेडिकल कमीशन मेडिकल कालेजों और स्टूडेंट्स के लिए नियम तैयार करता है। साथ ही मेडिकल संस्थाओं की एनएमसी निगरानी भी करता है। कमीशन की तरफ से समय-समय पर स्टूडेंट्स के लिए गाइडलाइंस भी जारी की जाती है। इसी बीच एक और गाइडलाइंस जारी की गई है। जानकारी के मुताबिक, अब एमबीबीएस स्टूडेंट्स को प्रथम वर्ष की परीक्षा चार साल में और पूरी एमबीबीएस की पढ़ाई 10 सालों में पास करनी होगी।

अगर स्टूडेंट्स चार साल में प्रथम वर्ष और दस वर्ष तक फाइनल वर्ष की परीक्षा नहीं पास कर पाता है, तो कालेज से बाहर कर दिया जाएगा। इस स्थिति में उसका डाक्टर बनने का सपना खारिज हो जाएगा। एनएमसी ने जीएसवीएम मेडिकल कालेज के साथ सभी मेडिकल कालेजों और प्राचार्यों की ऑनलाइन मीटिंग बुलाई थी। इस दौरान मेडिकल शिक्षा से जुड़ी कई बड़े फैसले लिए गए।

साथ ही स्टूडेंट्स और छात्रों की बायोमेट्री को भी अनिवार्य किया।एनएमसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 के बाद चिकित्सा शिक्षा में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए नए मेडिकल कालेज शुरू करने के लिए अनुमति पत्र (एलओपी) केवल वार्षिक प्रवेश क्षमता के लिए जारी किए जाएंगे। ऐसे कालेजों में कम से कम 21 विभाग होने चाहिए। साथ ही नए कालेजों को शिक्षण अस्पतालों में कक्षाओं और रोगी देखभाल को एनएमसी नियंत्रण कक्ष में लाइव-स्ट्रीम करना होगा।

150 सीटों से ज्यादा पेशकश नहीं करेंगे कालेज

नए नियम के मुताबिक, नए मेडिकल कालेज 2024-25 शैक्षणिक सत्र से 150 से अधिक एमबीबीएस सीटों की पेशकश नहीं कर सकेंगे। साथ ही एनएमसी ने नए कालेजों के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रत्येक दस लाख आबादी पर 100 एमबीबीएस सीटों के अनुपात का पालन करना अनिवार्य कर दिया है।

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