मिसाल बना ठेला वाले का बेटा मोहम्‍मद कासिम , जज की सम्हालेगा कुर्सी

पीसीएस जे 2023 में 135वीं रैंक लाकर 29 वर्षीय मोहम्‍मद कासिम जज बने हैं। इनका बचपन पिता के ठेके पर गंदी धोने में बीता है। उत्‍तर प्रदेश के संभल जिले के नखासा पुलिस थाना इलाके के रुकनुद्दीन सराय निवासी 29 वर्षीय मोहम्मद कासिम की सक्‍सेस स्‍टोरी उन युवाओं के लिए मिसाल है, जो जीवन में एक असफलता से हार मान लेते हैं। उन युवाओं को भी मोहम्मद कासिम की जिंदगी से सीख लेनी चाहिए, जो परिवार की आर्थिक तंगी को सफलता की राह में रोड़ा मानते हैं।

गरीबी की वजह से मेहनत करना छोड़ देते हैं। उत्‍तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की नयायिक सेवा परीक्षा 2023 में 135वीं रैंक हासिल करके मोहम्‍मद कासिम जज बने हैं। वो भी पहले ही प्रयास में। कासिम ने वो वक्‍त भी देखा जब इनको पिता के ठेले पर गंदी प्‍लेटें धोना पड़ती थी। मीडिया से बातचीत में कासिम ने बताया कि गांव के सरकारी स्‍कूल से कक्षा चार तक की पढ़ाई की। फिर कक्षा छह तक की पढ़ाई वारसी जूनियर हाई स्कूल में पढ़ाई की। जेड यू इंटर कॉलेज में कक्षा 7 से 12 तक पढ़ा। कासिम बताते हैं कि साल 2008 में दसवीं कक्षा में एक बार फेल हो गया था। फिर दुबारा मेहनत की और आगे की पढ़ाई पूरी की।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री हासिल की। साल 2014 में बीए एलएलबी का एग्जाम क्वालिफाइड कर एएमयू लॉ फैकल्टी को ज्वाइन किया। देश का पहला मामला: 5 सगे भाई-बहन बन गए जज, ‘जजों की खान’ वाले इस परिवार की पूरी कहानी क्‍या है? साल 2019 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में एलएलएम एग्जाम में ऑल इंडिया वन रैंक हासिल की। साल 2021 में एलएलएम करने के बाद यूजीसी नेट क्वालीफाई भी किया।

अब पीसीएस जे रिजल्ट में 135 रैंक हासिल की है। बता दें कि कासिम के पिता रोड किनारे ठेला लगाते हैं। बचपन में कासिम भी पिता के साथ ठेले पर काम करते थे। बर्तन धोकर पिता का काम में हाथ बंटाते थे। ठेले पर प्लेट धोने के अलावा हलीम बेचा करते थे। साल 2007-08 में खुद का ठेला लगाया। 2012 में ठेला बंद करके आगे की पढ़ाई के लिए अलीगढ़ चले गए।

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