देहरादून से मो सलीम सैफ़ी के साथ आशीष तिवारी की रिपोर्ट
उत्तराखंड पुलिस का मानवीय चेहरा: पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने उत्तराखंड पुलिस को एक ऐसा स्वरूप दे दिया है जो मित्रता, सेवा,सुरक्षा से कही ज़्यादा है, मानवता को जिसने अपना मूलमंत्र बना लिया है,एक ऐसा ही वाक्या आज सामने आया ..
जिसने एक बार फिर उत्तराखंड पुलिस को सर्वश्रेष्ठ साबित कर दिया….,हुआ यूं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक प्रतिष्ठित व्यापारी परिवार की एक महिला ने आज अचानक अपना घर छोड़ दिया और माँ गँगा की गोद मे अपने प्राण त्यागने का मन बनाकर सरकारी बस से उत्तराखंड का रूख कर लिया,घर परिवार वालो ने और देहरादून रहने वाले रिश्तदारों व मित्रो ने उन्हें ढूंढने का प्रयास युद्धस्तर पर शुरू किया
,जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हरिद्वार के एस.पी. ट्रैफिक प्रदीप राय, ए.एस.पी टिहरी राजन सिंह,क्षेत्रधिकारी लक्सर विवेक कुमार,एस. एस.आई. ऋषिकेश मनमोहन नेगी और सबइंस्पेक्टर डोईवाला बलबीर सिंह रावत ने निभाई जिन्होंने बहुत तेज़ी सी संबंधित महिला को सर्विलांस के माध्यम से अपने अपने नेटवर्क के माध्यम से ट्रैक करना शुरू किया,
महिला की लोकेशन लगातार और बहुत तेज़ी से बदल रही थी मगर लगभग 7-8 बजे महिला की लोकेशन स्वर्गाश्रम के पास पाई गई, तभी थानाध्यक्ष लक्षण झूला प्रमोद उनियाल और उनकी टीम ने नाकाबंदी करके परमार्थ निकेतन,लक्षण झूला,गीता भवन और जानकी ब्रिज को हर तऱफ अपनी टीम को सर्च ऑपरेशन में लगा दिया.
संबंधित क्षेत्र पुलिस कॉन्स्टेबल मेजर सिंह तोमर,मुकेश कुमार,विरेंद्र, जसपाल सिंह,महिला कॉन्स्टेबल रेशमा व शशि चौहान जनपद टिहरी की एस.ओ.जी. टीम के कांस्टेबल हिमांशु व राकेश ने महिला को जानकी ब्रिज के पास से उस वक़्त सकुशल बचा लिया जब वो माँ गँगा में डूबने का प्रयास कर रही थी…,
घर परिवार के मामूली झगड़ो से आहत व आत्महत्या के विचारों से घिरी इस महिला के प्राणों को बचाकर उत्तराखंड पुलिस ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की संवेदनशीलता और कार्यशैली का असर सम्पूर्ण राज्य की पुलिस पर समान रूप से स्थापित हो चुका है,… इसलिए हम कह सकते है कि एक अच्छे समाज निर्माण के साथ साथ उत्तराखंड पुलिस अपने आपको हर क़दम पर सर्वश्रेष्ठ साबित कर रही है….
आज की उपलब्धि उत्तराखंड पुलिस की वो उपलब्धि है जिसने न केवल एक प्रतिष्ठित परिवार की महिला की जान बचाई बल्कि पूरे खानदान और परिवार को एक बड़े पारिवारिक नुक़सान से बचा लिया,घर-परिवार, बच्चे अपनी माँ को अपने पास जीवित पाकर बहुत खुश है और उत्तराखंड पुलिस को धन्यवाद दे रहे है । यूँ ही नहीं उत्तराखंड पुलिस को मित्र पुलिस कहा और माना जाता है।
ये घटना नज़ीर है कि जब खाकी में इंसान अपनी संवेदनशीलता से फ़र्ज़ निभाता है तो वो भी खुद में IPS अशोक कुमार जैसा बन जाता है । ऐसी सजग सतर्क और साहसी पुलिसिंग के टीम लीडर डीजीपी को टीम न्यूज़ वायरस की शुभकामनाएं जिनकी वजह से प्रदेश की जनता गर्व से कहती है पुलिस मैनेजमेंट हो तो उत्तराखंड पुलिस जैसी हो।