विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन धरने के 15वें दिन सामूहिक उपवास रखकर विरोध प्रदर्शन किया| सोमवार को भी कार्मिकों द्वारा गले में फांसी का फंदा डालकर न्याय की गुहार लगाई गई| विधानसभा के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे कार्मिकों द्वारा विरोध प्रदर्शन लगातार अलग-अलग तरीके से किया जा रहा है| कार्मिकों का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता वह किसी भी कदम को उठाने के लिए तैयार हैं| कहा कि विधानसभा अध्यक्ष एवं सरकार को उनकी बात सुननी ही होगी, पहाड़ के युवाओं के साथ इस प्रकार का व्यवहार निंदनीय है|
कार्मिकों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष ने बिना उनका पक्ष जाने एकपक्षीय कार्यवाही की है जो न्याय असंगत है|कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें भेदभाव पूर्ण तरीके से बर्खास्त किया गया है। जब राज्य निर्माण के बाद से लेकर अभी तक विधानसभा में भर्ती की प्रक्रिया एक ही जैसी है तो 2016 के बाद वालों पर ही कार्रवाई करना सरासर गलत तथा अन्याय पूर्ण है। कर्मचारियों का कहना है कि 2001 से लेकर 2015 के बीच नियुक्त कार्मिकों को किस आधार पर बचाया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रदीप सिंह, सुरेंद्र सिंह रौतेला, गिरीश सिंह, गोपाल नेगी, ललित धानक, मोहन सिंह, अनिल नैनवाल, कुलदीप सिंह, सोनम गोस्वामी, जीवन सिंह, सुशील, नीरज कुमार, प्रतिभा तिवारी, स्वाति, रविंद्र सिंह रावत, कैलाश अधिकारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ट, अजीत सिंह मेहता, ओम प्रकाश, भीम सिंह, गोकुल सिंह सहित समस्त बर्खास्त कर्मचारी उपस्थित रहे|