सरोगेट मां का विवाहित होना जरूरी , जानिए सरोगेसी अधिनियम की खास बातें

देहरादून से कार्यकारी संपादक आशीष तिवारी की विशेष रिपोर्ट –

राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 को मंजूरी दे दी है। समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को मंजूरी के तत्काल बाद इसे सरकारी गजट में प्रकाशित कर दिया गया। विधेयक राज्यसभा में आठ दिसंबर को पारित हुआ था। इसके बाद लोकसभा में इसे 17 दिसंबर को पारित किया गया था। यह कानून वाणिज्यिक पैमाने पर सरोगेसी पर रोक लगाता है और सिर्फ परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है।

बता दें कि संसद ने बीते 17 दिसंबर को सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2019 को मंजूरी दी थी। इस कानून में देश में किराए की कोख या सरोगेसी को वैधानिक मान्यता देने और इसके वाणिज्यीकरण को गैर कानूनी बनाने का प्रावधान किया गया है। सरोगेसी ऐसी विधि है,

जिसमें कोई महिला संतान के इच्छुक किसी दंपती के बच्चे को अपने गर्भ में पालती है। जन्म के बाद बच्चे को दंपती को सौंप देती है।लोकसभा में यह विधेयक काफी पहले ही पारित हो चुका था लेकिन राज्यसभा में आने के बाद इसको प्रवर समिति के पास भेजा गया था। राज्यसभा में संशोधन के साथ मंजूरी मिलने के बाद इसे दोबारा लोकसभा से पारित कराया गया। विधेयक में कहा गया है कि विधवाएं और विवाहित महिलाएं सरोगेसी का लाभ ले सकती हैं। यही नहीं तलाकशुदा महिलाएं भी सरोगेसी का लाभ ले सकती हैं।

सरोगेट मां का विवाहित होना जरूरी है , विदेशी दंपतियों को सरोगेसी के लिए भारत के कानून का पालन करना होगा। यही नहीं नए कानून में यह भी प्रावधान है कि बच्चे में यदि किसी प्रकार का विकार होता है तो ऐसी दशा में उसे छोड़ा नहीं जा सकेगा। 23 से 50 साल तक की उम्र की महिलाएं सरोगेसी का इस्तेमाल कर सकती हैं। सरोगेट मां बनने के लिए महिला को विवाहित होना जरूरी है। इतना ही नहीं कोई महिला एक बार ही सरोगेट मां बन सकती है।

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