पूरी दुनिया में मशहूर है बरसाना की लट्ठमार होली, जानिए कैसे शुरू हुई लठ से होली खेलने की ये अनोखी परंपरा देशभर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। पूरे देश में वैसे तो होली दो दिन का त्योहार है, लेकिन ब्रज में यह त्योहार 40 दिन तक चलता है। जिसकी शुरुआत राधा की जन्मस्थली बरसाना से होती है। इसके बाद ही देश के अन्य हिस्सों में होली खेली जाती है। बरसाने की लट्ठमार होली दुनियाभर में मशहूर है। रंगों की होली खेलने से पहले यहां की महिलाएं लठमार होली खेलती हैं, जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठी बरसाती हैं। दिलचस्प बात ये है कि लोग इस शरारत का बुरा न मानते हुए खुशी से इस रस्म का आनंद लेते हैं। ये होली राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है। तो आइए जानते हैं कैसे हुई बरसाने में लट्ठमार होली की शुरुआत।
मथुरा और ब्रज की होली दुनियाभर में अपनी अनोखी छटा और परंपराओं के लिए जानी जाती है। यह भारत के सबसे रंगीन पर्व मनाने के अपने अनूठे तरीके लिए भी मशहूर है। इस दिन नंदगांव के ग्वाल बाल होली खेलने के लिए बरसाने जाते हैं, जहां गांव की महिलाएं उन पर लाठी बरसाती हैं। होली से कुछ दिन पहले यहां लट्ठमार होली का आयोजन होता है। कहा जाता है कि द़वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्रों के साथ राधा और उनकी सखियों के साथ लट्ठमार होली की परंपरा शुरू की थी। तब से आज तक यह परंपरा यहां निभाई जाती है।
बरसाना की लट्ठमार होली भगवान कृष्ण के काल में उनके द्वारा की जाने वाली लीलाओं का एक हिस्सा है। माना जाता है कि श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ कमर में फेंटा लगाए राधा रानी और उनकी सखियों के साथ होली खेलने बरसाने पहुंच जाया करते थे। उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्हें सबक सिखाने के लिए राधा और उनकी सखियां उन पर डंडे बरसाती थीं। उनकी मार से बचने के लिए कृष्ण और उनके मित्र लाठी और ढालों का उपयोग किया करते थे, जो धीरे-धीरे होली की परंपरा बन गई। बता दें कि इस मनमोहक दृश्य को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग यहां आते हैं।लट्ठमार होली की एक और अनोखी परंपरा है। कहते हें कि हाली के दौरान जिस भी पुरूष से लठ छिव जाता है, उसे महिलाओं के कपड़े पहनने पड़ते हैं और सबके सामने नृत्य भी करना पड़ता है। यह उत्सव एक सप्ताह से ज्यादा समय तक चलता है। जिसमें पुरुष नाचते हैं गाते हैं और होली के रंग में डूबते चले जाते हैं।
बरसाने की लठमार होली से जुड़ी एक मान्यता और है। कहते हैं कि होली के दौरान ब्रज भूमि पर पड़ा गुलाल अगर शरीर की किसी चोट पर लगा लिया जाए, तो शारीरिक पीड़ा दूर हो जाती है। जानकार बताते हैं कि लठ खेलते हुए किसी को चोट लग जाए, तो यह गुलाल दवा के काम करता है। इसे लगाने के बाद वास्तव में उस व्यक्ति का दर्द कुछ ही देर में लुप्त हो जाता है। इसलिए ब्रज की भूमि को सदैव ही चमत्कारी माना गया है।
लठमार होली के दिन पूरे ब्रज में होली का एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। बरसाने में लट्ठमार होली लाडली के मंदिर में बड़े ही उत्साह के साथ खेली जाती है। इस उत्सव का पहला निमंत्रण सबसे पहले नंद गांव के नंद महल भेजा जाता है। इसके बाद ही बरसाने में नंदगांव के हुरियारे होली खेलने बरसाने आते हैं। इस दिन गोपियां लठ और गुलाल से हुरियारों का स्वागत करती हैं।