लो जी हमारा “समोसा” तो क्रिश्चियन निकला ! हंगामा शुरू

भारत में हर शहर और फ़ूड स्टॉल पर आपको करारे लज़ीज़ समोसे मिल जायेंगे। चटनी और छोले के संग आलू भरे समोसे किसको भला पसंद नहीं होंगे लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि हिंदुस्तान में फेवरिट समोसे का भी धर्म है, एक ख़ास समुदाय के संग इसका रिश्ता है ? अपने देश में स्नैक्स के तौर पर पसंद की जाने वाली खास डिश समोसा देश के कोने-कोने में स्ट्रीट फूड के तौर पर इसे पसंद किया जाता है. समोसा ठेले पर हो तो 5-10 रुपये में मिल जाता है लेकिन वही समोसा जब ज़रा महंगी दुकानों पर पहुंच जाता है तो उसके रंग-ढंग बदल जाते हैं. इतना ही नहीं, जिस समोसे पर हम जान छिड़कते हैं, उसी समोसे को एक ऐसा भी देश है, जहां पाबंदी का शिकार होना पड़ा है.

भारत से लेकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल समेत कई और देशों में समोसे को लोग खूब पसंद करते हैं. हम भारतीयों को चाय के साथ अगर कोई स्नैक सबसे ज्यादा पसंद है, तो वो समोसा ही है. मेहमानों को परोसना हो या फिर छोटी-मोटी भूख का इंतज़ाम करना हो, करारे समोसे हर जगह काम आते हैं. हालांकि दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जहां समोसे पर पूरी तरह से पाबंदी है, इसे खाने या फिर बनाने पर लोगों को सज़ा तक दे दी जाती है.समोसे का तिकोना होना है ‘प्रॉब्लम’

भारतीय समोसे को जहां यूरोपियन देशों तक में पसंद किया जा रहा है, वहीं अफ्रीकी देश सोमालिया में समोसा खाने पर पाबंदी लगी है. इस देश में समोसा बनाने, खरीदने और खाने पर लोगों को सज़ा भी दी जाती है. इसकी वजह है समोसा का तिकोना आकार. सोमालिया का एक चरमपंथी समूह मानता है कि समोसे का तिकोना रूप क्रिश्चियन कम्यूनिटी के एक चिह्न से मिलता-जुलता है. यही वजह है कि सोमालिया में समोसे पर प्रतिबंध लगाया गया है. हालत ये है कि सोमालिया में समोसा बनाने, खरीदने और खाने पर भी सजा का प्रावधान है. कई रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि समोसे में सड़े-गले मीट को भरने की वजह से इस पर पाबंदी लगाई गई.

कहां से आया समोसा?

जानकारी के मुताबिक 10वीं सदी के आसपास मध्य एशिया से आए अरबी सौदागर समोसे की रेसिपी को अपने साथ लेकर आए. इसका जिक्र दसवीं शताब्दी में लिखी किताबों में हुआ है. ईरानी इतिहासकार अबोलफाजी बेहाकी ने “तारीख ए बेहाकी” में इसका जिक्र किया. माना जाता है कि समोसे का जन्म मिस्र में हुआ. वहां से ये लीबिया पहुंचा. फिर मध्य पूर्व. ईरान में ये 16वीं सदी तक बहुत लोकप्रिय था, लेकिन फिर सिमटता चला गया. अमीर खुसरो के मुताबिक 13वीं सदी में ये मुगल दरबार की पसंदीदा डिश थी. हालांकि हमारे आलू वाले समोसे 16वीं सदी में बने, जब पुर्तगाली आलू लेकर भारत आए.और इस तरह से भारत में समोसे की अनगिनत वेरायटी परवान चढ़ी और आज ये घर घर मशहूर है।

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