Flash Story
देहरादून :  मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लिवर रोगों  को दूर करने में सबसे आगे 
जेल में बंद कैदियों से मिलने के लिए क्या हैं नियम
क्या आप जानते हैं किसने की थी अमरनाथ गुफा की खोज ?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय वन सेवा के 2022 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को दी बधाई
आग में फंसे लोगों के लिये देवदूत बनी दून पुलिस
आगर आपको चाहिए बाइक और स्कूटर पर AC जैसी हवा तो पड़ ले यह खबर
रुद्रपुर : पार्ट टाइम जॉब के नाम पर युवती से एक लाख से ज्यादा की ठगी
देहरादून : दिपेश सिंह कैड़ा ने UPSC के लिए छोड़ दी थी नौकरी, तीसरे प्रयास में पूरा हुआ सपना
उत्तराखंड में 10-12th के बोर्ड रिजल्ट 30 अप्रैल को होंगे घोषित, ऐसे करें चेक 

सर्दियों में बढ़ जाता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा डायबिटीज  वाले रखें खास ख्याल  

सर्दी बढ़ने के साथ ही कम तापमान के कारण विभिन्न बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में थोड़ी सी असावधानी सेहत पर भारी पड़ सकती है। इस समय सबसे अधिक मामले हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक के आ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर तीन मिनट में एक व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आता है और अन्य मौसमों की तुलना में सर्दियों में इसमें और वृद्धि होती है। हमारा शरीर मौसम में आए बदलाव के साथ बहुत धीमी गति से सामंजस्य बिठाता है, जबकि तापमान का प्रभाव शरीर की कार्यप्रणाली पर तेजी से बढ़ता है। तापमान में कमी के कारण रक्त गाढ़ा होने लगता है, जिससे शरीर के अंगों की सक्रियता प्रभावित होती है।

ऐसे में रक्त प्रवाहित करने वाली धमनियां सिकुड़ने लगती हैं और मस्तिष्क में पहुंचने वाले रक्त के प्रवाह की गति धीमी हो जाती है। इससे हार्ट व मस्तिष्क को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है। ऑक्सीजन व रक्त के प्रवाह में बाधा आने से रक्त का थक्का बनता है। हाई ब्लडप्रेशर से मस्तिष्क की धमनियां फट जाती हैं, इससे दिमाग में रक्त स्राव होता है। ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं। पहला है इस्कीमिक ब्रेन स्ट्रोक। इसमें मस्तिष्क की धमनियों में रक्त का थक्का बनने से रक्त प्रवाह बाधित होता है, जिससे दिमाग की कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इससे वे बहुत तेजी से नष्ट होने लगती हैं। दिमाग का जो भाग प्रभावित होता है और वह जिस काम पर नियंत्रण रखता है, वह काम ब्रेन स्ट्रोक आने पर रोगी नहीं कर पाता है। जबकि दूसरी स्थिति में हेमरेजिक स्ट्रोक आता है। इसमें मस्तिष्क की नस फटने से रक्त स्राव होता है और रक्त मस्तिष्क के किसी भाग में जमा हो जाता है, जिससे मस्तिष्क का कार्य प्रभावित होता है। इसमें रोगी को लकवा मार सकता है और कई बार समय पर उपचार न मिलने पर जीवन पर भी खतरा आ सकता है। ब्रेन स्ट्रोक आने पर लक्षण महसूस हों तो रोगी को तत्काल अस्पताल लेकर जाएं। इसमें पहले तीन से चार घंटे (गोल्डन आवर्स) बेहतर इलाज के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इसके उपचार में चिकित्सा स्ट्रोक की स्थिति के अनुसार सीटी, एमआरआई जैसी जांच करवाते हैं। जिन मामलों में रक्त का थक्का बना होता है, काफी संभावना रहती है कि उसका निदान दवाओं से हो जाए, लेकिन अगर धमनी फटने से रक्त मस्तिष्क के किसी भाग में जमा हो जाता है तो सर्जरी का विकल्प अपनाया जाता है।

ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य लक्षणयदि अचानक से किसी व्यक्ति का चेहरा टेढ़ा होने लगे, शरीर के एक हाथ-पैर में ताकत कम होने लगे, हाथ ऊपर उठाने व चलने में परेशानी के साथ व्यक्ति चलते समय पैर को फर्श पर खींचकर चले तो तत्काल उपचार के लिए ले जाना चाहिए। ये ब्रेन स्ट्रोक आने के लक्षण हैं। इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं:-शरीर का शिथिल होना -बोलने में कठिनाई -घबराहट के साथ सांस लेने की परेशानी होना- तेज सिरदर्द होना- एक तरफ चेहरे में सुन्नता महसूस करना- कमजोरी के साथ भ्रम की स्थिति में आ जाना- आंखों में धुंधलापन आना- जी मिचलाना या उल्टी होना.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top