विशेष रिपोर्ट – आशीष तिवारी
राज्य सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केंद्रीय कार्यशाला में हुए शामिल
प्रदेश के लोक निर्माण, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा केंद्रीय जल आयोग के माध्यम से भारत में “डैम सेफ्टी गवर्नेंस” पर आधारित एक कार्यशाला में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए। केंद्र सरकार द्वारा 14 दिसंबर 2021 को डैम सेफ्टी एक्ट, 2021 की अधिसूचना जारी की गई जो कि 30 दिसंबर 2021 से प्रभावी हो चुका है।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि डैम सेफ्टी एक्ट का मुख्य उद्देश्य बांधों के उचित निरीक्षण, संचालन एवं रखरखाव के द्वारा बांध के टूटने से उत्पन्न आपदाओं की रोकथाम हेतु एक संस्थागत ढांचा एवं तंत्र उपलब्ध कराना है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला में डैम सेफ्टी एक्ट के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा गठित की जाने वाली कमेटी National Committee on Dam Safety (NCDS) की गतिविधियों पर मंथन किया गया। यह कमेटी डैमों की सुरक्षा हेतु आवश्यक नीतियों तथा नियमों की स्तुति करेगी। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों के विचारों एवं उपयोग की गई तकनीकों के आदान-प्रदान हेतु कार्य करेगी। प्रचलित डैम निर्माण, इनके संचालन गतिविधियों में परिवर्तन और पुराने हो रहे डैम के पुनर्वास की आवश्यकता हेतु सुझाव देगी।
उन्होंने बताया कि डैम सेफ्टी एक्ट, 2021 धारा 11(2) के अनुसार समस्त राज्य सरकारों को अधिनियम में निहित प्रावधानों को लागू करने के उद्देश्य से एक्ट प्रभावी होने की तिथि से 180 दिन के भीतर State Committee on Dam Safety (SCDS) और State Dam Safety Organization (SDSO) का गठन करना आवश्यक है। उत्तराखंड सरकार ने डैम सेफ्टी एक्ट, 2021 निहित प्रावधानों के अनुसार त्वरित कार्यवाही करते हुए 2 मई 2022 को State Committee on Dam Safety (SCDS) एवं State Dam Safety Organization (SDSO) का गठन तय सीमा के अंतर्गत कर दिया है। वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में लगभग 30 मुख्य बांध हैं, इसके गठन के पश्चात राज्य में बांधों के उचित निरीक्षण, संचालन एवं रख-रखाव हेतु प्रभावी कार्यवाही की जा सकेगी तथा बांधों की सुरक्षा का उचित इंतजाम सुनिश्चित किया जा सकेगा।
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपे एक अन्य पत्र के माध्यम से उनसे अनुरोध किया कि जमरानी बांध परियोजना पर शीघ्र कार्य प्रारंभ कराए जाने हेतु प्रस्तावित परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वृहत सिंचाई) के अंतर्गत स्वीकृति प्रदान की जाये ताकि राज्य को परियोजना का समय से लाभ प्राप्त हो सके।
कार्यशाला में जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, कर्नाटक के मंत्री गोविंद एम. करजोल, अरुणाचल के मंत्री मामा नटुंग, मेघालय के मंत्री प्रेस्टन तिनसोंग, गुजराज के मंत्री रुशिकेश गणेशभाई पटेल, बिहार के मंत्री संजय कुमार झा, गोवा के मंत्री सुभाष ए. शिरोडकर, उत्तर प्रदेश के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और तमिलनाडु सरकार के मंत्री थिरु दुरई मुरुगन आदि मौजूद थे।