पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड में एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पिटकुल में नियम कायदों को लेकर प्रबंधन पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.मामला पिटकुल में बोर्ड और ऑडिट कमिटी की बैठक से जुड़ा है..खबर है कि पिटकुल में बोर्ड की बैठक से पहले ही निदेशक वित्त को बोर्ड की सदस्यता से ही बाहर कर दिया गया.यह हाल तब है जब निदेशक वित्त की तैनाती सरकार के स्तर पर की जाती है और शासन या सरकार ही इसको लेकर कोई फैसला कर सकते हैं.
उत्तराखंड ऊर्जा विभाग यूं तो गड़बड़ियों और घपलों की शिकायतों को लेकर सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है उसने सरकार की शक्तियों को भी चुनौती दे दी है.दरअसल, पिटकुल में निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर को उनसे जूनियर अधिकारी ने ही बोर्ड के सदस्य सूची से बाहर कर दिया.खास बात ये है कि निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर की तरफ से इसकी शिकायत प्रबंध निदेशक से लेकर अपर मुख्य सचिव को की गई.शिकायत के होने के बाद बोर्ड की बैठक को दो बार स्थगित किया गया लेकिन प्रबंध निदेशक की तरफ से इस पर कोई कार्रवाई करने की जहमत तक नहीं उठाई..वहीं, जब मामला अपर मुख्य सचिव ऊर्जा राधा रतूड़ी के पास पहुंचा तो उन्होंने फौरन इसका संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को कड़े शब्दों में सूची में निदेशक वित्त का नाम जोड़ने के निर्देश दिए और इसके बाद जाकर निदेशक वित्त का नाम जोड़ा गया.
पिटकुल में 79वीं बोर्ड बैठक आहूत होनी थी
पिटकुल में 79वीं बोर्ड बैठक आहूत होनी थी और इसमें 51वीं ऑडिट कमिटी की बैठक भी होनी थी इस बैठक में कॉरपोरेशन के एजेंडे और नीतिगत फैसलों को लिया जाता है.बोर्ड की बैठक में 15 सदस्य हैं लेकिन बैठक को लेकर जब सभी को सूचना भेजी गई तो उसमें डायरेक्टर फाइनेंस का ही नाम हटा दिया गया.जबकि, बोर्ड की बैठक में डायरेक्टर वित्त स्पेशल इनवाइटी होते हैं. लेकिन बैठकों में निदेशक वित्त सुरेंद्र बब्बर को ही बैठक से हटा देना बड़े सवाल खड़े कर रहा है.फ़िलहाल मामला सचिवालय पहुंचा तब जाकर उच्च स्तर पर इसमें निर्देश दिए गए हैं।