गोवा और यूपी में स्थिति साफ़ होने के बाद भी उत्तराखंड में संशय बरकरार है जिसकी वजह से कई दावेदारों के दिल बेक़रार है। पहले जहाँ उम्मीद थी कि धामी रिटर्न्स की फिल्म ही लिखी जा रही है लेकिन जिस तरह से दिल्ली से लौटकर निर्वर्तमान सीएम देहरादून की बजाय खटीमा पहुंचे हैं उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा में हो रहे विलंब की वजह कुछ और है। अब तो दावेदार भी अपनी संभावनाओं को लेकर प्रयासों में जुटे हैं। इस परिदृश्य के बीच जैसी परिस्थितियां हैं, वे इस तरफ इशारा कर रही हैं कि राज्य में भाजपा विधायक दल के नेता का नाम होली के बाद ही स्थिति सामने आ सकता है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को पटखनी देते हुए धामी के नेतृत्व में दो-तिहाई बहुमत हासिल किया, लेकिन चुनाव में उसका चेहरा रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही अपनी सीट गंवा बैठे। ऐसे में भाजपा नेतृत्व के सामने सरकार के नए मुखिया को लेकर बढ़ी उलझन अभी तक सुलझ नहीं पाई है।
जब दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री धामी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक व प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार आलाकमान के सामने बैठे तो उनकी लंबी बैठक हुई। बाद में प्रदेश चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ भी इनकी बैठक हुई। तब यह बात सामने आई थी कि बैठकों में कुछ सहमति बनी है। बुधवार तक मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अंतिम निर्णय हो जाएगा, लेकिन इसे लेकर धुंधलका छंट नहीं पाया।
इसके बाद सीएम धामी और मदन कौशिक की किसी भी राष्ट्रीय नेता से मुलाकात नहीं हुई। लोगों को उम्मीद थी कि धामी देहरादून आकर कुछ बोलेंगे लेकिन वो सीधे खटीमा लौट गए। कौशिक भी गुरुवार को वापस लौट रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर हो रहे विलंब से राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाओं ने बाजार गर्म कर दिया है।
दरअसल दो दिन से प्रदेश के विधायको ने दबी जुबां ही सही लेकिन अपनी-अपनी संभावनाओं को लेकर प्रयास कर रहे हैं। ये अलग बात है कि लोग इसको दबाव बता रहे हैं इनमें अधिकांश ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री पद की दौड़ के बहाने सरकार में मंत्री पद पक्का करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इंतज़ार तो कप्तान के नाम को लेकर है जो अपनी टीम केंद्र के इशारे पर तैयार करेगा।