प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने कहा कि एकल उपयोग प्लास्टिक पर्यावरण के लिए घातक है। हर साल औसतन 400 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है। इसमें 50 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक है। मात्र नौ प्रतिशत की ही रिसाइकिलिंग की जा रही है।
यूकॉस्ट और सीआईआई की ओर से पर्यावरण सम्मेलन में प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान विषय पर मंथन किया गया। कार्यक्रम में मलिक ने कहा, सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए जनसहभागिता जरूरी है। इसके लिए व्यापक स्तर पर समुदायों की क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। इस दिशा में काम करने वाले सभी हितधारकों को वन विभाग पूरा सहयोग करेगा।
नगर निगम मेयर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि प्लास्टिक समस्या का जन सहभागिता से हल किया जा सकता है। उन्होंने प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए नगर निगम की ओर से की गई पहल को साझा किया जिसमें कपड़े के दो लाख बैगों का वितरण और एक लाख से अधिक छात्रों को एकल उपयोग प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने के लिए प्रेरित करने की बात प्रमुख थी।
टिकाऊ पैकेजिंग के मुद्दों पर चर्चा
यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा, उत्तराखंड प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। प्लास्टिक कचरा राज्य में एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या बन गया है जो इसकी पारिस्थितिकी के साथ मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने चेताया कि पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील राज्य से आने वाले समय में प्लास्टिक कचरा गंभीर समस्या बनेगी। कार्यक्रम में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और टिकाऊ पैकेजिंग के मुद्दों पर चर्चा की गई।