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शख्सियत : उत्तराखंड के ये वरिष्ठ IAS ख़ास हैं – जानिए क्यों ? 

देश में आपको तमाम ऐसे अफसर मिल जायेंगे जिनकी अपनी स्टाइल है और अपना काम करने का अनोखा तरीका होता है। इन्ही अफसरों में आजकल चर्चा हो रही है उत्तराखंड के एक ख़ास आईएएस की , जिनकी दिनचर्या भी ख़ास है , कामकाज का तरीका और जीवन की फिलॉसफी भी ख़ास है।

हम बात कर रहे हैं  2004 बैच के आईएएस अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम की , जो इन दिनों साइकिल से सचिवालय जाने को लेकर चर्चा में हैं. इन दिनों आईएएस पुरुषोत्तम सहकारिता मत्स्य पशुपालन ग्रामीण विकास सचिव के पद पर सेवाएं दे रहे हैं।  इसके साथ ही वह राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना प्रोजेक्ट के चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी हैं. लेकिन अब जो हम बताने जा रहे हैं वो ख़ास है क्योंकि ये अधिकारी अपनी कम्फर्टेबले सरकारी कार में नहीं बल्कि  रोज सुबह लैपटॉप लेकर हेलमेट लगाकर अपने राजपुर रोड स्थित राज्य समेकित कार्यालय साइकिल से ही पहुंचते हैं.वापसी में भी साइकिल साथ होती है… आईएएस अफसर पुरुषोत्तम को साइकिल से दफ्तर जाना इतना पसंद है कि बरसात का मौसम चल रहा है और बारिश भी उनके साइकिलिंग के जुनून को कम नहीं कर पाती. उनके स्टाफ ने बताया कि साइकिल से आने के बावजूद वो कभी लेट नहीं होते बल्कि समय से पहले ऑफिस पहुंच जाते हैं.रोजाना 20 किमी से ज्यादा की साइकिलिंग

पुरुषोत्तम रोजाना सुबह 4 बजे से 5 बजे तक अपने निवास राजपुर रोड से मालदेवता की तरफ करीब 20 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं. इसके बाद वे साइकिल से ही दफ्तर जाते हैं. साइकिलिंग के दौरान वे फिजिकल फिटनेस की ट्रेकिंग के लिए स्ट्रावा सर्विस का उपयोग करते हैं. इससे ट्रैफिक से बचा जा सकता है और अपने लक्ष्य या जरूरत के अनुसार साइकिलिंग या अन्य कोई व्यायाम किया जा सकता है.

दिल्ली में भी साइकिल से जाते थे दफ्तर

पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के पर्सनल सेक्रेटरी के रूप में भी सेवाएं दे चुके पुरुषोत्तम दिल्ली की हेवी ट्रैफिक से बचने के लिए वह अक्सर साइकिल से ही दफ्तर पहुंचा करते थे. इससे पहले पुरुषोत्तम उत्तराखंड में साल 2019 में कुमाऊं कमिश्नर के पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दे चुके हैं. बीवीआरसी पुरुषोत्तम साल 2012 में देहरादून के जिलाधिकारी रह चुके हैं. है न कमाल की जीवन शैली और कमाल के अफसर जिनको देख कर आज इस बीमारू माहौल में हमे और आपको भी सीख लेते हुए थोड़ा पसीना तो ज़रूर बहाना चाहिए।

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