मेहविश फ़िरोज़ की स्पेशल रिपोर्ट –
इन दिनों मोटापा पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है। दुबली-पतली छरहरी काया पाने के लिए लोग लाखों खर्च करने को तैयार रहते हेैं जबकि मोटापे को बीमारी का घर माना जाना लगा है। ऐसे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ऑंकड़े बता रहे हैं कि भारत में करीब हर चौथी महिला और इससे कुछ कम पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं। मोटापे की समस्या उन राज्यों को अधिक परेशान कर रही है जो कि अपेक्षाकृत संपन्न माने -समझे जाते हैं और जहां साक्षरता दर भी काफी अधिक है। देखें रिपोर्ट, किन राज्यों में मोटापे की समस्या अधिक है.राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि हर चार में से एक भारतीय मोटापे से ग्रस्त है और राजस्थान में ये अनुपात हर सात में से एक व्यक्ति का हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में मोटापा 21 प्रतिशत से बढ़कर 24 प्रतिशत और पुरुषों में 19 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया है, जबकि राजस्थान में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में मोटापा अधिक है। हालांकि राजस्थान ये आँकड़ा पिछले एनएफएचएस-4 सर्वे के जैसा ही है, यानी राजस्थान में करीब 13 प्रतिशत महिलाएं और करीब 15% पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं। गौर करने की बात ये है कि झारखंड और राजस्थान में मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का अनुपात देश में करीब सबसे कम है। जबकि शहरी आबादी की बात करें तो राजस्थान में मोटापा ग्रस्त महिलाओं की संख्या यहां झारखंड से भी कम है।
शहरी लोगों में मोटापा है ज्यादारिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण पुरुष और महिलाएं अपने शहरी समकक्षों की तुलना में पतले हैं। मोटे लोगों की जनसंख्या का प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों (20 प्रतिशत) की तुलना में शहरी (33 प्रतिशत) क्षेत्रों में अधिक है। साथ ही, अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त पुरुषों और महिलाओं के अनुपात में लगातार वृद्धि हो रही है।
राजस्थान में दुबली महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक
पुडुचेरी (46 फीसदी), चंडीगढ़ (44 फीसदी), दिल्ली, तमिलनाडु, केरल और पंजाब (41 फीसदी प्रत्येक) में मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का अनुपात सबसे ज्यादा है। इसकी तुलना में राजस्थान, झारखंड और बिहार के बाद गुजरात में दुबली महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक है। दूसरी ओर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अधिक वजन वाले पुरुषों (45 प्रतिशत) का अनुपात सबसे अधिक है। इसके बाद पुडुचेरी (43 प्रतिशत) और लक्षद्वीप (41 प्रतिशत) हैं।