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कोरोनाकाल में टीवी इंडस्ट्री के लिए मसीहा बने लेखक/ निर्माता सौरभ तिवारी 

देहरादून से कार्यकारी संपादक आशीष तिवारी की विशेष रिपोर्ट –

कहते हैं जिसका दिल संवेदनाओं से भरा होता है वो समाज के लिए कुछ भी कर गुज़रता है। बात जब देश और देशवासियों के जीवन की हो तो आज फिल्मकार और टीवी मनोरंजन जगत केआकाश मे ध्रुव तारे की तहफ चमक रहे सौरभ तिवारी का ज़िक्र हर किसी के लिए हौसले की मिसाल बन चुका है

आपको बता दें कि गंभीर लेखन और कलात्मकता के धनी सौरभ तिवारी, हिंदी टेलिविज़न जगत का एक ऐसा नाम है जिन्होंने पिछले २० वर्षों में अपनी कहानियों और धारावाहिकों के माध्यम से कभी दर्शकों को मनोरंजन प्रदान किया तो कभी प्रेरित किया। सौरभ बहुचर्चित टेलिविज़न चैनल कलर्स के हेड ऑफ़ कांटेंट रहे हैं और इस दौरान देश भर के लाखों घरों में लोकप्रियता के शीर्ष पर रहने वाले एंटरटेनमेंट शो बालिका वधू, उत्तरन और ना आना इस देस लाडो जैसे कई धारावाहिकों का निर्माण कराया है ।

कई साल पहले अपने शहर लखनऊ में क़याम करने के दौरान सौरभ ने बताया था कि उनका सपना है कि जिस शहर लखनऊ में उन्होंने खुद को आज के स्वरूप में ढलने के लिए तैयार किया था उसी अवध की ज़मीन पर वो खुद की एक फिल्म सिटी बनाने के ख्वाइशमंद हैं जिसका वो पूरा प्रोजेक्ट डिज़ाइन भी कर रहे थे।  

2011 से सौरभ ने एक लेखक और निर्माता के तौर पर मधुबाला और महक जैसे कई लोकप्रिय धारावाहिकों का निर्माण किया। देश जब एक भयानक विभीषिका यानि कोरोना काल के दौरान  जीवन और सेहत के लिए जद्दोजहद कर रहा था तब अपनी संवेदनशीलता और मानवीय मूल्यों का परिचय देते हुए सौरभ ने अपनी कम्पनी  Parin Multimedia के माध्यम से टेलीविजन जगत से जुड़े कई परिवारों की आर्थिक रूप से मदद की। इतना ही नहीं इन्होने अपने सेट पर Bio-Bubble का निर्माण करके, यूनिट के हर सदस्य को लगातार रोजगार मिलता रहे, इसका प्रबंध भी सुनिश्चित किया।
मानवता की एक बेहतरीन मिसाल बनकर खुद को समर्पित करने वाले सौरभ तिवारी ने जिस संजीदगी से  फिल्म के सेट्स पर बेज़ुबान जानवर जो शूटिंग के खाने पर पलते थे, शूटिंग बंद होने की वजह से भुखमरी की कगार पर पहुँच गए थे, उनके खाने का भी बड़ी संख्या में इंतज़ाम भी कराया। इनके और इनके मित्रों के प्रयासों की वजह से कई बेज़ुबान जानवरों का जीवन बच सका।
आज जब हमारा देश कोरोना जैसी पलायकारी तूफ़ान से उबार रहा है ऐसे में अब सौरभ तिवारी जैसे मसीहा के ख़ामोशी से किये गए समाजसेवा के उदाहरण हमारे सामने आ रहे हैं जो निश्चित ही आने वाले कल में युवा भारत के लाखों करोड़ों नौजवानों के लिए एक अनुकरणीय प्रेरणा बन रही है। 

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