विश्व स्ट्रोक दिवस के अवसर पर आज 28 अक्टूबर को देहरादून के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस कांफ्रेंस का अहम उद्देश्य लोगों को स्ट्रोक के प्रति जानकारी देना और इस जानकारी को मीडिया के माध्यम से सभी लोगों तक पहुंचाना रहा। इस कांफ्रेंस में मैक्स अस्पताल के न्यूरोलॉजी के सलाहकार, डॉ नितिन गर्ग व न्यूरोलॉजी के सलाहकार डॉ सौरभ गुप्ता उपस्थित थे।
मैक्स हॉस्पिटल देहरादून के लोगो में गोल्डन ऑवर की महत्वता फैलना चाहता है ताकि स्ट्रोक के सिम्पटम्स पड़ते ही मरीज को तुरंत हॉस्पिटल लेजाया जाये और उसको स्ट्रोक के परमानेंट नुक्सान से बचाया जा सके।
स्ट्रोक एकचिकित्सीय स्थिति है जिसमें मस्तिष्क में खराब रक्त प्रवाह के परिणाम स्वरूपकोशिका खत्म हो जाती है। स्ट्रोक के दो मुख्य प्रकार हैं: इस्केमिक जिसका कारण रक्तप्रवाह में कमी होती है और रक्तस्रावी जो रक्तस्राव के कारण होता है। एक स्ट्रोकमस्तिष्क के प्रभावित हिस्से को निष्क्रिय बना सकता है।
अब आपको स्ट्रोक के लक्षण के बारे में बता दे :
– पैरालिसिस
– हाथ, चेहरे और पैरों में सुन्नता या कमजोरी, विशेष रूप से शरीर के एक तरफ
– बोलने, समझने और देखने में परेशानी
-मानसिक भ्रमकी स्थिति
– चलने में परेशानी,संतुलन या समन्वय बनाने में अक्षम
– चक्कर आना, किसी अज्ञात कारण से अचानक सिर दर्द
एक स्ट्रोक को रोकने के लिए तत्काल चिकित्सा देकर इन नुकसान से बच सकते हैं:
– मस्तिष्कक्षति
-दीर्घकालीन विकलांगता
– मौत
डॉ नितिन गर्ग ने कहा,”स्ट्रोक के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि समय ही सब कुछ है। एक स्ट्रोक के बाद, प्रतिसेकंड,32,000 मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं। ऐसे में स्थायी विकलांगता को रोकने के लिए, चिकित्सा देखभाल और चिकित्सा जल्द से जल्द शुरू की जानी चाहिए। “भारत में सही समय पर लक्षणों की पहचान करने में असमर्थता या समय पर चिकित्सा सुविधा तक पहुंचने में असमर्थता के कारण स्ट्रोक के बहुत कम रोगियों को समय पर उपचार प्राप्त होता है। स्ट्रोक को प्रभावी ढंग से पहचानने और संभालने के लिए एक सुसज्जित अस्पताल का होना भी एक चुनौती हैं।
आगे कहा; “योग्य स्ट्रोकरोगियों में से केवल 3% को थक्के को रोकने के लिएथ्रोम्बोलाइटिक्स प्राप्त होते हैं क्योंकि वे शायद ही समय पर अस्पताल पहुंच पाते हैं। हमें लोगों को स्ट्रोक के बारे में जागरूक करने के लिए सचेत प्रयास करने की आवश्यकता है; एक बढ़ी हुई जागरूकता और विकसित समझ स्ट्रोक के कारण होने वाली कई अक्षमताओं को रोकने में मदद कर सकती है। मैक्स अस्पतालमें, हम सभी प्रकार के स्ट्रोकके रोगियों को चिकित्सकीय और शल्य चिकित्सा दोनों तरह से संभालने के लिए कुशल हैं-। ”
डॉ सौरभ गुप्ता, कंसल्टेंट ने आगे बताया, “स्ट्रोक” किसी के बीच भेदभाव नहीं करता है। यह किसी भी आयु वर्ग, किसी भी सामाजिक वर्ग और किसी भीलिंग के लोगों को प्रभावित करता है। भारत में इनमें से 12% आघात40 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों में होते हैं। 50% आघात मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण होते हैं जबकि बाकी अन्य वजह से होते हैं।”शुरुआती एक घंटे के भीतर उपचार प्रदान करने के लिए एक अस्पताल को यह सुनिश्चित करना होगा– इलाज करने वाले ट्रीटिंग स्टाफ को स्ट्रोक की समझ- समय पर आपात स्थिति से निपटने की क्षमता मैक्स में, आघात के 100% पात्ररोगियों ने पिछले 5 वर्षों में थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी प्राप्त की है। हमारे सख्त अनुपालन और ऑडिटके कारण, हम 60 मिनटके अनुशंसित विश्व दिशा निर्देशों को बनाए रखने में सक्षम हैं।